
तेंदूपत्ता पर डिजाइन बना रही हूं
आर्टिस्ट रानी मड़ामे ने बताया कि मैं बालाघाट की रहने वाली हूं। मैं पिछले 6 साल से आर्ट कर रही हूं। मैं मूलत: स्कल्पचर काम करती हूं। पिछले तीन साल से सिरेमिक आर्ट वर्क कर रही हूं। तेंदूपत्ता हमारे प्रदेश की अनोखी विरासत है। मैं अपने आर्ट वर्क में इसे डिफरेंट डिजाइन्स के माध्यम से उकेरती हूं। वहीं, पावस पटेल ने बताया कि मैं छत्तीसगढ़ से यहां वर्कशॉप में शामिल होने आया हूं। मैं बेसिकली पेंटिंग करता हूं, लेकिन पिछले साल से सिरेमिक आर्ट वर्क भी सीखना शुरू किया है। वर्कशॉप में मैं फॉर्मस थीम पर काम कर रहा हूं। इसमें गांव में रहने वाले किसान की प्रतिदिन की दिनचर्या को दिखाने का प्रयास करूंगा। इसे तैयार करने में मुझे दो दिन का समय लगेगा।
ताला-चाबी के डिजाइन पर करती हूं काम
दीपा पंत ने बताया कि मैं बड़ौदा से आई हूं। सिरेमिक आर्ट वर्क 1992 से कर रही हूं। ताला-चाबी और नेचर पर काम करती हूं। ताला-चाबी बचपन से ही मेरी दिमाग में बैठे हुए हैं। मैं जब छोटी थी तो चाबी से ताला नहीं खोल पाती थी। अब अपने डिजाइन्स के माध्यम से ये संदेश देती हूं कि हमारी जिंदगी में जो उलझने हैं, उन्हें खुद ही अपनी चाबी से खोल सकते हैं। यहां में नेचर से जुड़ी डिजाइन्स करूंगी।