कांग्रेस के जीतू पटवारी पर विशेषाधिकार हनन का मामला, किया था ऐसा काम
दो बार स्थगित हुई सदन की कार्यवाही...

भोपाल। कांग्रेस के जीतू पटवारी पर विशेषाधिकार हनन के मामले में सोमवार को सदन में सत्ता और विपक्षी दल के सदस्यों में तीखी बहस हुई। स्पीकर ने बार-बार शांत करने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। इसके चलते सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
स्पीकर डॉ. सीतासरन शर्मा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पटवारी का मामला विशेषाधिकार हनन समिति को सौंप दिया।
स्पीकर डॉ. सीतासरन शर्मा ने प्रश्नकाल समाप्त होते ही भाजपा के यशपाल सिंह सिसौदिया सहित अन्य सदस्यों की ओर से दी गई विशेषाधिकार हनन की सूचना पढ़ी। उनका कहना था कि पटवारी ने शुक्रवार को आसंदी और सदन की अवमानना की है। पटवारी ने मीडिया को कथित तौर पर चोरों की मंडली कहा था।
सिसौदिया ने कहा, पटवारी ने मीडिया का अपमान करने के साथ सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं पर विधायकों को बोलने नहीं दिया। उन्होंने निंदा करते हुए मामला विशेषाधिकार हनन को सौंपने का आग्रह किया। इसका कांग्रेस सदस्यों ने तीखा विरोध किया।
ऐसे बढ़ा मामला
कांग्रेस के रामनिवास रावत ने स्पीकर की ओर मुखातिब होते कहा, जिस कार्रवाई को आप स्वयं विलोपित करा चुके हैं, वह सदन की कार्रवाई में नहीं है तो इस पर चर्चा नहीं होना चाहिए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कागजात दिखाते हुए कहा कि कार्रवाई से कुछ भी विलोपित नहीं हुआ है।
पटवारी ने सदन और सदन के बाहर भी यही बात दोहराई है। इस दोनों दल के सदस्य जोर-जोर से बोलने लगे।
सदस्यता रद्द करने की मांग करेंगे
संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पटवारी से उस दौरान अपने शब्द वापस लेने और माफी मांगने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी। पटवारी ने सदन का अपमान किया है। वे उनकी सदस्यता रद्द की मांग करेंगे।
मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने कहा, विधानसभा का निजी हितों के लिए उपयोग नहीं होना चाहिए। पटवारी ने व्यक्तिगत सवाल पूछकर सदन का दुरुपयोग किया है। गोपाल भार्गव ने कहा, पटवारी ने सोशल मीडिया पर भी ऐसी ही बातें कहीं, इसलिए यह विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह बोले, सवाल पूछना विधायकों का अधिकार है। पटवारी ने भी सवाल पूछा है।
इसमें व्यक्तिगत जैसा कुछ नहीं है। कांग्रेस सदस्य सुंदरलाल तिवारी ने नियम प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि विशेषाधिकार हनन का कोई आधार नहीं बनता। उन्होंने इसे सत्तापक्ष का षड्यंत्र बताया। इस पर सत्ता और विपक्षी दल के विधायकों में तीखा विवाद भी हुआ।
अपने ही विधायकों से घिरी सरकार, विपक्ष के सदस्यों ने दिया साथ
सदन में प्रश्नकाल के दौरान अजब स्थिति बन गई, जब सत्तापक्ष के सदस्यों यहां तक कह दिया कि अफसर जो जवाब लिखकर देते हैं, मंत्री उसी को सदन में पढ़ देते हैं। जमीनी हकीकत उससे अलग होती है। भाजपा की नीना वर्मा ने एनएच ३१ लेबड़ से मुलथान फोरलेन का मामला उठाया।
उन्होंने कहा, यह बीओटी मार्ग ऊबड़-खाबड़ हो गया है। इस पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। जिम्मेदार कंपनी टोल टैक्स वसूल रही है, लेकिन मेंटेनेंस नहीं करवा रही है। लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि मार्ग खराब नहीं है। कुछ जगह असमतल है। इस पर भाजपा के यशपाल सिंह सिसौदिया और कांग्रेस सदस्यों ने नीना वर्मा का समर्थन किया।
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