कांग्रेस की बैठक छह को
कांग्रेस के पास विधायकों का संख्या बल कम है, इसलिए विधानसभा में किसी भी मुद्दे पर मत-विभाजन की स्थिति आने की आशंका के चलते पार्टी ने विधायकों को पांचों दिन उपस्थिति रहने के लिए पाबंद कर दिया है। प्रदेश कांग्रेस के स्थायी सचिव किशन पंत ने विधायकों को व्हिप जारी किया है। इसमें लिखा है कि छह जनवरी को विधायक दल की अति महत्वपूर्ण बैठक है। इसके साथ ही विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति पूरे समय अनिवार्य है।
दरअसल, कांग्रेस सरकार विधानसभा में मीसाबंदी पेंशन को खत्म करने, किसानों की कर्जमाफी करने, अनुपूरक बजट सहित कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव व विधेयक लाने जा रही है। इन प्रस्तावों के पारित होने में संख्या बल के कारण कोई अडंगा न आ सके, इसकी तैयारी कांग्रेस ने की है। कांग्रेस के पास स्वयं के 114 और समर्थन दे रहे बसपा, सपा, निर्दलीय मिलाकर कुल 121 विधायक हैं। जबकि, भाजपा के पास 109 विधायक हैं।
मैं न शिवराज हूं-न दिग्विजय : नाथ
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुरुवार को चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक में अपने तेवर दिखाए। हारे हुए प्रत्याशियों ने अपने क्षेत्रों में लोगों को हटाने के लिए कहा, तो कमलनाथ ने साफ कह दिया- ऐसे हटाना शुरू किया, तो संगठन कैसे बचेगा। जब अधिकारियों को हटाने की बात कही, तो कमलनाथ ने कहा कि अभी जरूरी काम पर ध्यान दो। ऐसे काम में दखल मत दो, जो अभी जरूरी नहीं है। नाथ बोले- मैंने तो अधिकारियों को भी फोन करके कह दिया है कि मैं न शिवराज हूं और न दिग्विजय सिंह। मैं कमलनाथ हूं और मेरे अपने निर्णय हैं।
कौन कहां बैठेगा और हटेगा यह हम तय करेंगे। निर्णय होंगे और सुनना ही पड़ेंगे। बैठक में अजय सिंह ने एक अधिकारी का नाम लेकर कहा कि उसने भाजपा के लिए काम किया है। कांग्रेस के लोग ही चाहते हैं कि वह न हटे। वह 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहा है, उसके पहले कार्रवाई होनी चाहिए। इसी तरह कई नेताओं ने अफसरों की बात कही। बैठक में सुरेश पचौरी, अरुण यादव और राजेंद्र सिंह नहीं पहुंचे।
भाजपा में छह को होगा फैसला
ने ता प्रतिपक्ष चुनने के लिए भाजपा आलाकमान ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे को पर्यवेक्षक बनाया है। दिल्ली में गुरुवार को भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष तय करने के लिए दो-दो प्रभारी तय किए हैं। बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। प्रदेश कार्यालय में छह जनवरी को विधायक दल की बैठक में नेता प्रतिपक्ष का नाम तय हो सकता है।
नेता प्रतिपक्ष बनने की कोशिश में जुटे शिवराज और पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा दिल्ली में डेरा डाले रहे। शिवराज ने शाह, राजनाथ, विनय, सुषमा और रामलाल से मुलाकात भी की। सूत्रों के मुताबिक भाजपा तीनों राज्यों में पूर्व मुख्यमंत्रियों को ही नेता प्रतिपक्ष बना सकती है। उधर, भाजपा यह रणनीति बना रही है कि सरकार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद हर काम में मुश्किल में खड़ी की जाए।
भावांतर योजना हो सकती है बंद
चुनाव पहले किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा लाई गई भावांतर भुगतान योजना बंद हो सकती है। कृषि मंत्री सचिन यादव ने गुरुवार को कहा कि भावांतर की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद तय होगा कि इसे चालू रखा जाए या नहीं। इसके बाद कृषि विभाग में समीक्षा की जाएगी। दरअसल, इसको लेकर शिवराज सरकार ने खूब आलोचना झेली थी।
अब सभी जवाब ऑनलाइन लेगी विधानसभा
विधानसभा तक पहुंचने वाली आमजन की शिकायतों का निराकरण अब ऑनलाइन होगा। विधानसभा सचिवालय ने सरकार से ऑनलाइन जवाब लेना शुरू किया है। प्रदेश सरकार से कहा है कि ऑफलाइन जवाब स्वीकार नहीं किए जाएंगे। अभी विधायकों के सवालों के जवाब ही ऑनलाइन लिए जाते थे।
सरकार में सुनवाई न होने पर आमजन की सुनवाई की व्यवस्था पिछली विधानसभा में शुरू हुई थी। सचिवालय शिकायतों का परीक्षण करने सरकार से जवाब मांगता था। निराकरण की जानकारी भी संबंधित को मिलती है। ऑफलाइन व्यवस्था होने के कारण चिट्ठी पत्री और फाइल भेजने में अनावश्यक समय लगता था।
विधानसभा प्रमुख सचिव एपी सिंह ने गुरुवार को इस व्यवस्था का अवलोकन किया। सिंह ने बताया कि सरकार के जवाब भी अब ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे। अभी तक 1142 लोगों के मामले रजिस्टर्ड हुए। इनमें से 611 का निराकरण हुआ, जबकि 482 विचाराधीन हैं। इनमें से विभिन्न विभागों से 263 प्रकरणों पर उत्तर प्राप्त होना है।