ग्वालियर पूर्व की बात करें तो यहां से वैसे तो मुन्नालाल गोयल का नाम फायनल माना जा रहा है। लेकिन परेशानी ये है कि वह यहां से पिछले दो चुनाव हार चुके हैं। पार्टी में ही उनके खिलाफ कई नेताओं ने तो उनकी हार का पूरा गणित दिल्ली भेज दिया है। लेकिन गोयल फिर भी अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त हैं। क्योंकि बीते दोनों चुनाव वह कम अंतर से हारे थे। यहां दिग्गविजय सिंह के समर्थक भगवान सिंह यादव भी ग्वालियर दक्षिण से दावेदारी कर रहे हैं, ऐसे में सिंधिया समर्थक रश्मि पवार, किशन मुदगल और रमेश अग्रवाल दावेदारी कर रहे हैं।
मालवा—निमाड में भी खींचतान
मालवा—निमाड में भी सिंधिया और दिग्विजय सिंह के समर्थकों में खासी खींचतान है। दरअसल दिग्विजय सिंह प्रदेश में 10 साल तक सीएम रहे हैं, ऐसे में उनके प्रदेश में हर जगह समर्थक हैं, जबकि सिंधिया का ग्वालियर—चंबल और मालवा के कुछ हिस्सो में दखल है, उनके समर्थक भी दावेदारी कर रहे हैं। समर्थकों टिकट दिलाने दिग्गजों में मतभेद न उभरे इसे देखते हुए कमलनाथ ने खुद 170 सीटों पर खुद टिकट फाइनल करने का निर्णय लिया है। इन सीटों पर सभी दिग्गज नेताओं को एक राय कर ही टिकट बांटे जाएंगे।
मालवा—निमाड में भी सिंधिया और दिग्विजय सिंह के समर्थकों में खासी खींचतान है। दरअसल दिग्विजय सिंह प्रदेश में 10 साल तक सीएम रहे हैं, ऐसे में उनके प्रदेश में हर जगह समर्थक हैं, जबकि सिंधिया का ग्वालियर—चंबल और मालवा के कुछ हिस्सो में दखल है, उनके समर्थक भी दावेदारी कर रहे हैं। समर्थकों टिकट दिलाने दिग्गजों में मतभेद न उभरे इसे देखते हुए कमलनाथ ने खुद 170 सीटों पर खुद टिकट फाइनल करने का निर्णय लिया है। इन सीटों पर सभी दिग्गज नेताओं को एक राय कर ही टिकट बांटे जाएंगे।