दरअसल, सोनिया गांधी द्वारा गठित इस कमिटी में सात लोगों को जगह मिली है। दीपक बाबरिया से इसके अध्यक्ष होंगे। इनके अलावे कमिटी में सीएम कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुण यादव, मंत्री जीतू पटवारी और मीनाक्षी नटराजन। ये सभी लोग सरकार और संगठन में कोऑर्डिनेशन का काम देखेंगे।
मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार बनी है, उसके बाद से ही यह शिकायत मिलती रहती है कि ज्यादातर मंत्री कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते हैं। सार्वजनिक मंच से भी कई बार पार्टी के विधायक भी यह सवाल उठा चुके हैं। हाल ही में सरकार की कुछ नीतियों को लेकर कांग्रेस के विधायकों ने ही विरोध किया था। ऐसे ही विवादों को सुलझाने के लिए यह कमिटी बनी है।
वहीं, इस कमिटी में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को भी जगह मिली है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दोनों के पास संगठन और सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं थी। ऑफिसियली पहली बार दोनों समन्वय की जिम्मेदारी दी गई। हालांकि दोनों ही नेताओं ने सरकार में अपने गुट के लोगों को जरूर शामिल करवाएं है। उनके जरिए ही सरकार में दखलअंदाजी रखते हैं।
सोनिया गांधी के द्वारा बनाई गई इस कमिटी में सभी लोग पार्टी के कद्दावर नेता है। सिर्फ जीतू पटवारी ही सबसे कम उम्र के हैं। जीतू कमलनाथ सरकार में मंत्री भी हैं। सरकार में शामिल कई वरिष्ठ मंत्रियों को नजरअंदाज कर सोनिया ने जीतू को इस कमिटी में जगह दी है।