भाजपा में हलचल का कारण
इधर, मध्य प्रदेश भाजपा के बीच, कांग्रेस में हुई बैठक के बाद हलचल का माहौल है। यहां भी टिकट के दावेदारों के बीच वही स्थिति है जो, कांग्रेस के बीच है, यानि नाम तय हो तो काम शुरु किया जाए। लेकिन अंदुरूनी तौैर पर पार्टी यह तय करने में जुटी हुई है कि, टिकट का बंटवारा ऐसा हो जिससे, प्रदेश के सभी वर्गों को साधा जा सके। फिलहाल, भाजपा अब तक अपना घोषणा पत्र ही लोगों के सामने नहीं रख पाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि, इसपर मंथन चल रहा है। घोषणा पत्र ऐसा होगा जिससे प्रदेश के सभी लोगों को लाभ होगा।
दावेदारों के बीच बन रही चिंता
वैसे तो कांग्रेस के दिग्गज नेता मध्य प्रदेश में चुनावी बिसात बिछाने और प्रदेश की बीजेपी सरकार के पंद्रह सालों के कार्यकाल को खत्म करने की हर मुम्किन कोशिश में ऐड़ी चोटी का ज़र लगा रहे हैं। लेकिन इतन कर लेना चुनाव जीतने के लिए काफी नहीं है। कांग्रेस से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे दावेदारों के सामने बड़ी चिंता यह है कि, नाम घोषित हुआ तो विधानसभा क्षेत्र में अपना प्रबल प्रचार करना भी बड़ा मुद्दा है। समय काफी कम है। जिसके लिए पर्याप्त प्रचार कर पाना बड़ी चुनौती होगा।
यह हुए तय, इनपर असमंजस
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान ने तय किया है कि, विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 86 प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी की जाएगी। बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में सिर्फ इन्हीं से जुड़ी सीटों पर मंथन हुआ। पार्टी सूत्रों के अनुसार लिस्ट में शामिल करीब 40 नामों पर पार्टी की सहमति बन गई है। हालांकि, पार्टी के सामने बड़ी चुनौती बाकी बची 46 सीटें हैं। इसके बाद भी अगर इन सीटों पर एक से ज़्यादा प्रत्याशियों का दावा मज़बूत रहा तो फिर पैनल बनाकर यह तय होगा कि, दोनो में प्रबलता किसकी ज्यादा है।
राहुल गांधी कर चुके हैं यह बात साफ
छानबीन समिति ने उम्मीदवारों के चयन के लिए प्रदेश चुनाव समिति से सुझाव मांगे थे। पीसीसी चीफ कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष अपने सुझाव और नाम लेकर दिल्ली गए थे। पार्टी सूत्रों से अब यह बात भी सामने आ रही है कि, कांग्रेस को नामों की इस असमंजस को सुलझाने में अक्टूबर तक का समय लग सकता है। अब अनुमान है कि, कांग्रेस अक्टूबर के पहले हफ़्ते में 86 प्रत्याशियों के नाम का एलान करने की तैयारी में है। इनमें से 40 नाम वह भी हैं जो पहले से ही एमएलए हैं। याद हो कि, 17 सितंबर को प्रदेश की राजधानी भोपाल दौरे पर आए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस बात सभी विधायकों और दावेदारों के सामने यह साफ किया था कि, सिफारिश के आधार पर किसी को भी टिकट नहीं दिया जाएगा, टिकट की दावेदारी सिर्फ विधानसभा क्षेत्र में सर्वे के बाद ही तय होगी।