इन्हें मिलेगा कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव का टिकट! ये है जरूरी…
सोशल मीडिया पर मजबूती ही अब आपको दिलाएगी चुनावी टिकट! दावेदारों को मिला केवल 13 दिन का समय
भोपाल। मध्यप्रदेश में जल्द ही होने वाले चुनावों को लेकर पार्टियां लगातार अपने प्रत्याशियों की मजबूती का आंकलन करने में जुटीं हैं। साथ ही अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए भी कई तरह से कार्य कर रहीं हैं।
जानकारों के अनुसार अब चुनावों में सोशल मीडिया का अहम रोल शुरू हो गया है। ऐसे में जहां नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के लिए तक सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं, वहीं पार्टियों ने अपनी सोशल मीडिया की विंग्स तक खड़ी कर दी हैं।
वहीं इससे पहले अभी कुछ दिनों पहले ही जनता में अपने को मजबूत करने के लिए कांग्रेस के आईटी सेल में फेरबदल किया गया था। आईटी विभाग अध्यक्ष धर्मेंद्र वाजपेयी को हटाकर उनकी जगह विधायक जीतू पटवारी के समर्थक अभय तिवारी को अध्यक्ष बनाया गया था।
दरअसल कांग्रेस प्रत्याशी चयन में उलझी कांग्रेस ने अब दावेदारों के लिए नया फरमान जारी किया है। जिसके तहत कांग्रेस की ओर से ये तय किया गया है कि विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए प्रत्याशी की सोशल मीडिया पर सक्रियता का भी आंकलन होगा। 2 सितंबर को जारी हुए इन आदेशों के तहत नेताओं को केवल 13 दिन यानि 15 सितंबर तक का समय दिया गया है।
कांग्रेस के इस फरमान में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी सोशल मीडिया की मजबूती की दिशा में कई बड़े कदम उठा रही है। इसलिए टिकट की दावेदारों के लिए सोशल मीडिया पर सक्रियता को अनिवार्य किया गया है। साथ ही पिछले दावेदारों को भी इसमें शामिल होने का मौका दिया जा रहा है।
ये हैं नए आदेश… इन नए आदेशों के अनुसार दावेदारों का फेसबुक पेज व ट्विटर एकाउंट होना अनिवार्य है। इसे साथ ही व्हाट्स एप पर सक्रियता भी जरूरी है। – इतना ही नहीं फेसबुक पर कम से कम 15 हजार लाइक्स होने और ट्विटर पर 5 हजार फॉलोवर होने भी जरूरी हैं। – इसके साथ ही बुथ के लोगों के व्हाट्सएप ग्रुप भी होने जरूरी हैं। – इसके साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस के ट्वीटर को रिट्विट व लाइक करने के साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस के फेसबुक की खबरों को लाइक करना व शेयर करना भी अनिवार्य है।
यह बातें सभी नेताओं पर लागू होंगी! वहीं पार्टी के इस फरमान के बाद दावेदारों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। अब करना होगा ये… सूत्रों के अनुसार कांग्रेस आईटी सेल के इस नए आदेश के आने से जहां कांग्रेस में हड़कंप मच गया है। वहीं कई कांग्रेसी दावेदार ऐसे भी हैं जिनके एकाउंट तो हैं, लेकिन वे मांगों के अनुसार ठीक नहीं बैठ रहे हैं।
ऐसे में आगामी 13 दिनों में उन्हें फेसबुक पर 15 हजार लाइक्स और जबकि ट्विटर पर पांच हज़ार फॉलोअर्स तक की संख्या पहुंचाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। कुल मिलाकर इन बचे हुए चंद दिनों में दावेदारों को अपने फॉलोअर्स बढ़ाने होंगें और अपनी रिपोर्ट भी पार्टी को सौंपनी होगी। इसके बाद ही पार्टी अपना फैसला सुनाएगी और प्रत्याशिय़ों की घोषणा करेगी।
वहीं राजनीति के जानकार डीके शर्मा की माने तो कांग्रेस को इस बार प्रदेश से भाजपा का पत्ता साफ होते दिख रहा है। ऐसे में वह सत्ता हाथ से छूट जाने का कोई रिस्क नही लेना चाहती। इसी के चलते सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक कांग्रेस जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने में जुटी हुई है।
इस नए दांव के पीछे का सच! सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों कांग्रेस ने स्वयं आंकलन कर पाया था कि उसकी आईटी सेल, बीजेपी की तुलना में कमजोर है, और सोशल मीडिया ही ऐसा माध्यम है, जिससे कांग्रेस सीधे कार्यकर्ताओं और जनता से जुड़ सकती है।
इसी को देखते हुए कांग्रेस ने ये दांव खेला है, ताकि कांग्रेस की आईटी सेल भी मजबूत हो सके और टिकट का सही दावेदार भी सामने आये जिससे कोई विरोध की स्थिति न बने।
वहीं जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाला विधानसभा चुनाव सोशल मीडिया पर लड़ा जा रहा है। फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रात दिन वॉर की तरह प्रचार जारी है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
वहीं कुछ का तो यहां तक मानना है कि कांग्रेस को इसका संदेह पहले से ही था, तभी कांग्रेस के अधिकतर बड़े नेता सोशल मीडिया के जरिए ही भाजपा पर लगातार वार कर रहे थे।