प्रदेश में इसकी शुरुआत पीथमपुर से होगी। इसके बाद मंडीदीप, सिंगरौली, कटनी, जबलपुर, इंदौर और सारणी जैसे औद्योगिक नगरों में बुजुर्ग श्रमिकों के लिए आशियाने बनाए जाएंगे। 60 साल की उम्र के बाद मजदूर इन वृद्धाश्रमों में रहेंगे, जहां इनके रहन-सहन के अलावा खान-पान और सेहत का ध्यान रखा जाएगा। सरकार के श्रम विभाग ने इस योजना का खाका तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा।
समस्याएं जानने घर-घर जाएंगे जिम्मेदार
श्रमिकों की समस्याओं को जानने और उनके तत्काल निराकरण के लिए सरकार उनके द्वार पर पहुंचने जा रही है। इस योजना का नाम ‘सरकार आपके द्वार’ रखा गया है। जल्द ही सरकार पूरे अमले के साथ औद्योगिक नगरों में शिविर लगाकर श्रमिकों से उनकी समस्याएं पूछेगी।
शिविरों में श्रम मंत्री, प्रमुख सचिव, यूनियन लीडर, उद्योगपति और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल होंगे। मजदूरों को काम से हटाने, उनके स्वास्थ्य, आवास और बच्चों की शिक्षा से संबंधित समस्याओं को ऑन द स्पॉट हल करने का दावा किया जा रहा है।
सियासी समीकरण
श्रम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश में 2 करोड़ 30 लाख असंगठित क्षेत्र के मजदूर हैं। सरकार बनाने में इनका बहुत बड़ा हाथ होता है। पहले ये कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाते थे, लेकिन बाद में छिटक कर भाजपा के पाले में चले गए थे। अब कांग्रेस सरकार फिर से इन्हें साधने जा रही है।
छह नए श्रम स्कूलों को मंजूरी
सरकार श्रमिकों के बच्चों के लिए राइट टू चाइल्ड कानून बनाने पर भी विचार कर रही है। इसके तहत गरीब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे। सरकार ने छह और नए श्रम स्कूलों को मंजूरी दे दी है। छिंदवाड़ा, गुना, शहडोल, छतरपुर, रतलाम और रीवा में खोले जा रहे हैं। इससे पहले भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में चार श्रम स्कूल बनकर तैयार हो गए हैं।
ये श्रमिकों की सरकार है
मध्यप्रदेश श्रम मंत्री, महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बताया कि ये श्रमिकों की सरकार है, इसलिए उनकी समस्याएं दूर करने उनके द्वार पर पहुंच रही है। बुजुर्गों के लिए अलग से वृद्धाश्रम खोलने की भी योजना है। बच्चों की बेहतर पढ़ाई के लिए छह और नए आवासीय विद्यालय की प्रशासकीय स्वीकृति हो चुकी है।