नियम विरुद्ध नियुक्तियों को लेकर दर्ज हुई थी FIR
कांग्रेस शासनकाल में विधानसभा सचिवालय में नियम विरुद्ध नियुक्तियों के लिए विधानसभा सचिवालय ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी, तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और तत्कालीन प्रमुख सचिव एके पयासी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। नियम विरुद्ध नियुक्तियों के मामले में विधानसभा सचिवालय ने 17 अधिकारी-कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया था।
जस्टिस शचीन्द्र द्विवेदी की जांच रिपोर्ट के नौ साल बाद हुई इस एफआइआर पर राजनीति भी खूब गरमाई थी। आरोप लगे कि कांग्रेस ने व्यापमं घोटाला में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित मंत्रियों और सरकार के करीबी लोगों को घेरा तो भाजपा ने दिग्विजय को घेरते हुए कांग्रेस की बोलती बंद करने की कोशिश की है।
आरोप है कि यह नियुक्तियां 1993 से 2003 के बीच हुई हैं। इस दौरान दिग्विजय सिंह राज्य के मुख्यमंत्री रहे। करीब 175 लोगों की नियुक्तियां की गईं। इसमें से कई तो निर्धारित योग्यता भी नहीं रखते थे। कुछ तो एक ही परिवार के लोग शामिल हैं।
जुलाई में विधानसभा सत्र की शुरूआत
आमजन की आवाज उठाने के लिए विधानसभा में दी जाने वाली ध्यानाकर्षण और शून्यकाल की सूचना अब ऑनलाइन होने जा रही है। विधायक अब घर बैठकर ही सदन को ये सूचना दे सकेंगे। यह व्यवस्था आठ जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र से शुरू हो जाएगी।
वर्तमान में विधायकों को ये सूचनाएं विधानसभा सचिवालय में उपस्थित होकर लिखित रूप मेंं देना होती हैं। विधानसभा सचिवालय संदेशवाहक के हाथों इसे राज्य सरकार को भेजता है। विधानसभा सचिवालय से मंत्रालय तक सूचनाएं पहुंचने में कई बार देरी के कारण उनके जवाब भी देरी से आते हैं।