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मुश्किल में आई कमलनाथ सरकार! इधर शिवराज बोले गिर सकती है कभी भी …

locationभोपालPublished: Jan 16, 2019 01:18:49 pm

सरकार पर ये संकट…

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मुश्किल में आई कमलनाथ सरकार! इधर शिवराज बोले गिर सकती है कभी भी …

भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार एक बार फिर मुश्किलों में आ फंसी है। वहीं यह मुश्किल कोई ओर नहीं भाजपा की ओर से दी गई बताई जाती है। जिसके चलते सरकार पर एक संकट मंडरा रहा है। वहीं दूसरी ओर परेशानी में आई सरकार पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने प्रहार करते हुए कहा है कि यह लंगड़ी सरकार कभी भी गिर सकती है।

सरकार पर ये संकट वित्तिय स्थिति से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते मध्यप्रदेश सरकार को एक बार फिर लोन लेना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार किसानों की कर्ज माफी से पहले कमलनाथ सरकार ने रिजर्व बैंक से एक हजार करोड़ का कर्ज लिया है। इसकी ब्याज की दर 8.37 प्रतिशत बताई जा रही है।

सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। भले ही नई सरकार बनने के बाद यह पहला लोन है, लेकिन इससे पहले से ही प्रदेश सरकार पर 1.83 लाख करोड़ रुपए का भी कर्जा है। इससे पहले शिवराज सरकार ने आखिरी बार 800 करोड़ का कर्ज बाजार से उठाय़ा था। जिसके चलते कमलनाथ सरकार परेशानी में है।

इस तरह फंसी !…
वहीं राजनीति के जानकार डीके शर्मा का कहना है कि चुनाव से पहले भी चर्चा थी कि इस बार भाजपा सरकार बनाने के मूड़ में नहीं है। क्योंकि उसे लोन की चिंता तो सताए थी ही साथ ही वह ये भी जानती थी कि इस बार जो सरकार में आएगा उसके पास ज्यादा कुछ करने के लिए पैसों की समस्या का सामना करना पड़ेगा।

जिससे जनता पर निगेटिव असर दिखेगा। लेकिन इसके बावजूद भाजपा लगातार सरकार बनाने की बात कहती दिख रही थी, जो कुछ तरीके से संदेहास्पद था, भाजपा के इसी रुख पर कांग्रेस शायद कुछ गडबड़ा गई!

कंगाली के हालात में पहुंची मध्यप्रदेश सरकार को कर्जा भी लेना ही होगा, वहीं यदि सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर सकी तो इसका सीधा असर लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। भाजपा की इसी रणनीति में आकर कांग्रेस ने सरकार तो बना ली, लेकिन अब वह परेशानियों में घिर गई दिखती है।

प्रदेश की वित्तीय स्थिति…
दरअसल भाजपा सरकार के आखिरी साल से ही प्रदेश की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं चल रही थी। कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के लिए अपने वचन पत्र में बड़े-बड़े वादे कर दिए। सत्ता में आने के बाद उन्हें पूरा करना उसके लिए चुनौती बन गई है।

किसान कर्ज माफी का वादा पूरा करने के लिए उसे पांच हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। इसके बाद बेरोजगारों को भत्ता देना भी कमलनाथ सरकार के लिए चुनौती भरा कदम रहेगा।

इधर, शिवराज बोले: कभी भी गिर सकती है…
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में कांग्रेस की लंगड़ी सरकार है। यह कभी भी गिर सकती है। किसानों से कर्ज माफी के आवेदन मंगाकर उन्हें लोकसभा चुनाव तक लुभाने की कोशिश कर रही है।

उन्हाेंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने संबल योजना बंद की तो ऐसी लड़ाई लड़ूंगा कि सरकार चलना बंद हो जाएगी। यह बात पूर्व सीएम शिवराज ने सुसनेर में कही वे यहां रात 11.30 बजे पहुंचे थे। उन्होंने कहा, वे किसानों के हित में लड़ाई लड़ते रहेंगे। वे करीब 25 मिनट तक यहां रुके।

इस दौरान जगहों पर उनका स्वागत हुआ। इससे पहले वे कायरा, मोडी में किसानों मिले। शिवराज के साथ कई ग्रामीणों ने यहां सेल्फी भी ली। इस अवसर नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि डाॅ. गजेंद्र सिंह चंद्रावत, किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह कावल, पूर्व विधायक मुरलीधर पाटीदार, भाजपा नेता मांगीलाल सोनी आदि मौजूद थे।

सरकार लाएगी लेखानुदान!: बजट अगस्त में आएगा…

कमलनाथ सरकार का पहला मुख्य बजट अगस्त 2019 में आएगा। फरवरी में केवल 4 माह के लिए लेखानुदान लाया जाएगा। इसमें जरूरी खर्चों के साथ किसान कर्जमाफी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन का प्रावधान प्रस्तावित है। वित्त विभाग ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का हवाला देते हुए बजट की जगह लेखानुदान लाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा है।

उनकी सहमति मिलते ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार इस बार करीब 2.25 लाख करोड़ का बजट प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। ऐसे में शुरुआती पांच माह के खर्चों लिए 70 हजार करोड़ का लेखानुदान लाया जा सकता है।

सरकार का पूरा प्रयास है कि 22 फरवरी के बाद और आचार संहिता से पहले सभी 55 लाख किसानों तक लाभ पहुंच जाएं। इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि सरकार ने सप्लीमेंट्री बजट में 5 हजार करोड़ का प्रावधान भी किया है।

बताया जाता है कि बजट सत्र 15 फरवरी के बाद बुलाए जाने की संभावना है। सरकार यदि बजट लाती है तो उसे पेश करने से लेकर उस पर चर्चा करानी होगी। इसी दौरान लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में नई योजनाओं और मदों की घोषणा पर चर्चा में परेशानी आएगी। इन सबको ध्यान में रखते हुए सरकार लेखानुदान लाने जा रही है।
लेखानुदान लाने का फैसला कैबिनेट में होगा, इससे ज्यादा मैं आपको कुछ नहीं बता सकता।
– अनुराग जैन, पीएस वित्त विभाग

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