वहीं सूत्रों के अनुसार कांग्रेस सरकार ( congress govt ) के लिए आगामी दो माह कड़ी परीक्षा के साबित हो सकते हैं, अंदर खानों से आ रही जानकारी के अनुसार आगामी दो माह में भाजपा कांग्रेस की मध्यप्रदेश सरकार ( congress govt in Madhaya pradesh ) को गिराने का कार्य कर सकती है।
ऐसे में सामने आ रही सूचनाओं के अनुसार मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार गिराने की कथित कोशिशों पर विराम लगाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ जल्द ही अपने मंत्रिमंडल में बदलाव कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि कई पुराने मंत्रियों से इस्तीफा लेकर नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
चर्चा है कि कमलनाथ द्वारा हाल ही में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र से ये संकेत मिले हैं।
कांग्रेस की नई रणनीति
इन्हीं सब बातों को देखते हुए कांग्रेस ने अपनी सरकार को मध्य प्रदेश में बचाए रखने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जिसके तहत अब तक सामने आ रही सूचना के अनुसार मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के छह मंत्रियों को हटा सकती है। वहीं इनकी जगह अपने नंबरों को मजबूत करने के लिए निर्दलीयों को मंत्री पद से नवाजा जा सकता है।
बताया जाता है कि इस तरह निर्दलीय तीन विधायकों और बसपा के दो व सपा के एक विधायक को कमलनाथ मंत्री बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं, ताकि इन समर्थन देने वाले विधायकों के असंतोष को दबाया जा सके और सरकार पर कोई खतरा न रहे।
दरअसल मंत्रियों को हटाने कि ये बात इसलिए सामने आई क्योंकिे पिछले दिनों लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा था कि कई लोगों को एकोमोडेट किया जाना है, इसलिए पांच-छह मंत्रियों को हटाया जा सकता है।
उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है, यहां वर्मा ने यह भी कहा था कि किसी भी राज्य की सरकार को चलाने की प्रक्रिया होती है। नए लोगों को जोड़ें, पुराने लोगों को भी काम दें, किसी को संगठन की जिम्मेदारी दे। संगठन का किसी को मुखिया बनाया जाए, इसी क्रम में अभी तो छह मंत्रियों को हटाने की बात है। इन स्थानों पर नए लोगों को लाया जाए, वहीं मंत्रियों के पांच पद अभी खाली पड़े हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार के भविष्य पर किसी तरह का खतरा न आए, इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ समर्थन देने वाले गैर कांग्रेसी विधायकों को मंत्री बनाना चाहते हैं।
कमलनाथ ने एक फॉर्मूला बनाया है, जिसके मुताबिक, तीनों बड़े नेताओं (कमलनाथ, दिग्विजय सिंह व ज्योतिरादित्य सिंधिया) के कोटे वाले दो-दो मंत्रियों को बाहर करने की तैयारी है।
ज्ञात हो कि अभी कमलनाथ के मंत्रिमंडल में 28 मंत्री हैं। जबकि 6 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं हैं। मंत्रिमंडल में अभी सबसे ज्यादा 10 मंत्री कमलनाथ कोटे से हैं, जबकि दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कोटे से सात-सात मंत्री हैं।
वहीं एक ओर खास बात जो सूत्रों से सामने आ रही है उसके अनुसार कांग्रेस कुछ भाजपा विधायकों को भी अपनी ओर मिलाने की तैयारी में है। जिससे यदि भाजपा उनके कुछ विधायकों को तोड़ भी ले तब भी कांग्रेस की सरकार मध्य प्रदेश में स्थिर बनी रहे।
मध्यप्रदेश में स्थिति…
दरअसल राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114, भाजपा के 108 विधायक हैं। इसके अलावा दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायक हैं।
अभी हाल ही में झाबुआ से भाजपा के विधायक रहे जीएस डामोर सांसद का चुनाव जीत गए हैं, जिसके चलते एक सीट खाली हो गई है, वहीं भाजपा की संख्या में भी एक विधायक और कम हो गया है।
कांग्रेस को बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। एक निर्दलीय मंत्री है, जबकि सूत्रों के मुताबिक तीन मंत्री बनने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं अन्य समर्थन करने वाले विधायक भी कतार में हैं।
भाजपा की चाल को ऐसे करेंगे निष्क्रिय…
दरअसल इससे पहले जो सूचना आ रही थी उसके अनुसार भाजपा कांग्रेस में सुराख कर कुछ विधायकों को अपने साथ लाना चाह रही थी।
जिसके चलते कांग्रेस में सरकार गिरने की स्थिति बन सकती थी, भाजपा की इसी रणनीति को फेल करने के तहत कांग्रेस सरकार की ओर से एक बड़ी रणनीति के तहत पहले तो निर्दलीयों को अपने साथ जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है।
वहीं दूसरी ओर सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने भाजपा की चाल भाजपा पर ही चलनी शुरू कर दी है, जिसके तहत अब भाजपा के कई विधायक कांग्रेस के संपर्क में बने हुए हैं।
इस एक बयान ने बढ़ा दी मध्यप्रदेश में राजनैतिक सरगर्मी…संगठन चुनाव की बैठक लेने रविवार को भोपाल आए भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने मध्यावधि चुनाव की सुगबुगाहट छोड़ कई सवाल खड़े कर गए। रामलाल के बयान से उन पार्टी नेताओं की धड़कन बढ़ गई है, जो प्रदेश में भाजपा सरकार बनवाने के सपने देख रहे थे।
दरअसल रविवार को लंगड़ी लूली और विकलांग सरकार का हवाला देकर आए दिन बयानबाजी करने वाले नेताओं ने रामलाल की मौजूदगी में भी यही बातें दोहराई थी, जिसके बाद उन्होंने कहा हम सरकार गिराने के लिए कुछ नहीं करने वाले हैं लेकिन कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
पार्टी के नेता इस बयान को हाईकमान की मंशा मान रहे हैं। वे सोच रहे हैं कि पार्टी प्रदेश में सरकार बनाने के बजाए मध्यावधि चुनाव का विकल्प चुनने का मन बना रही है। रामलाल ने यही बात कोरग्रुप की बैठक में भी कही।