– कुसमरिया से शुरूआत
फरवरी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने भाजपा नेता व पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया की कांग्रेस में एंट्री से लोकसभा के लिए दलबदल की शुरूआत हुई। हालांकि, विधानसभा चुनाव के समय पूर्व मंत्री सरताज सिंह के भाजपा छोड़कर आने के बाद कुसमरिया का आना भी तय हो गया था। कुसमरिया विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़े और हार गए। इसके बार लोकसभा के लिए कांग्रेस में आ गए, लेकिन टिकट नहीं मिला।
– ये चेहरे भाजपा-बसपा से आए
बसपा से कांग्रेस में आने वाले चेहरे इस बार ज्यादा हैं। गुना में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक कांग्रेस में शामिल हुए। इनमें दिग्गज नेता फूलसिंह बरैया और सत्यप्रकाश सखवार शामिल हैं। पूर्व विधायक उषा चौधरी, रामगरीब वनवासी और प्रदीप अहिरवार भी कांग्रेस में आ गए। साथ ही बसपा से साहब सिंह गुर्जर, महाराजपुर से विधानसभा चुनाव लडऩे वाले राजेश मेहतो और खरगापुर से चुनाव लडऩे वाले पूर्व विधायक अजय यादव भी कांग्रेस में आ गए। इनके अलावा भाजपा से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा, पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष धीरज पटैरिया, झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत के विरोध में चुनाव लडऩे वाले पूर्व विधायक जेवियर मेढ़ा, पूर्व विधायक निशिथ पटेल, पंधाना से पूर्व विधायक अनार सिंह वास्कले, छतरपुर में पूर्व प्रदेश सचिव प्रकाश पाण्डेय ने भी कांग्रेस का दामन थामा है। सीएम कमलनाथ ने गोंगपा की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष शांति राज को भी कांग्रेस ज्वॉइन करा दी।
– ये भी दिलचस्प
व्यापमं घोटाले के आरोपी रहे गुलाब सिंह किरार को कांग्रेस ने स्टार प्रचारक बनाया है। इससे पहले विधानसभा चुनाव के समय किरार को राहुल गांधी के सामने मंच पर पार्टी में शामिल बताया गया था, लेकिन उस पर बवाल मचा तो कांग्रेस ने सदस्यता देने से किनारा कर लिया था। किरार को पिछली भाजपा सरकार के समय कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त था।
– भाजपा में बेहद कम चेहरे
भाजपा में इस बार बेहद कम चेहरे दूसरे दलों को छोड़कर पहुंचे। शहडोल प्रत्याशी हिमाद्री सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंचने वाला बड़ा चेहरा हैं। उनके अलावा महज कुछ छोटे चेहरे ही कांग्रेस व बसपा से भाजपा में पहुंचे। भाजपा की ओर जाने वाले नेताओं की कम संख्या का प्रमुख कारण प्रदेश में भाजपा का सत्ता से बाहर होना रहा।
फरवरी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने भाजपा नेता व पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया की कांग्रेस में एंट्री से लोकसभा के लिए दलबदल की शुरूआत हुई। हालांकि, विधानसभा चुनाव के समय पूर्व मंत्री सरताज सिंह के भाजपा छोड़कर आने के बाद कुसमरिया का आना भी तय हो गया था। कुसमरिया विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़े और हार गए। इसके बार लोकसभा के लिए कांग्रेस में आ गए, लेकिन टिकट नहीं मिला।
– ये चेहरे भाजपा-बसपा से आए
बसपा से कांग्रेस में आने वाले चेहरे इस बार ज्यादा हैं। गुना में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व विधायक कांग्रेस में शामिल हुए। इनमें दिग्गज नेता फूलसिंह बरैया और सत्यप्रकाश सखवार शामिल हैं। पूर्व विधायक उषा चौधरी, रामगरीब वनवासी और प्रदीप अहिरवार भी कांग्रेस में आ गए। साथ ही बसपा से साहब सिंह गुर्जर, महाराजपुर से विधानसभा चुनाव लडऩे वाले राजेश मेहतो और खरगापुर से चुनाव लडऩे वाले पूर्व विधायक अजय यादव भी कांग्रेस में आ गए। इनके अलावा भाजपा से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा, पूर्व भाजयुमो अध्यक्ष धीरज पटैरिया, झाबुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत के विरोध में चुनाव लडऩे वाले पूर्व विधायक जेवियर मेढ़ा, पूर्व विधायक निशिथ पटेल, पंधाना से पूर्व विधायक अनार सिंह वास्कले, छतरपुर में पूर्व प्रदेश सचिव प्रकाश पाण्डेय ने भी कांग्रेस का दामन थामा है। सीएम कमलनाथ ने गोंगपा की महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष शांति राज को भी कांग्रेस ज्वॉइन करा दी।
– ये भी दिलचस्प
व्यापमं घोटाले के आरोपी रहे गुलाब सिंह किरार को कांग्रेस ने स्टार प्रचारक बनाया है। इससे पहले विधानसभा चुनाव के समय किरार को राहुल गांधी के सामने मंच पर पार्टी में शामिल बताया गया था, लेकिन उस पर बवाल मचा तो कांग्रेस ने सदस्यता देने से किनारा कर लिया था। किरार को पिछली भाजपा सरकार के समय कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त था।
– भाजपा में बेहद कम चेहरे
भाजपा में इस बार बेहद कम चेहरे दूसरे दलों को छोड़कर पहुंचे। शहडोल प्रत्याशी हिमाद्री सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पहुंचने वाला बड़ा चेहरा हैं। उनके अलावा महज कुछ छोटे चेहरे ही कांग्रेस व बसपा से भाजपा में पहुंचे। भाजपा की ओर जाने वाले नेताओं की कम संख्या का प्रमुख कारण प्रदेश में भाजपा का सत्ता से बाहर होना रहा।
कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित होकर कई नेता आते हैं। जो कांग्रेस छोड़कर गए, वो भी वापस आए हैं। सीएम व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देशों के आधार पर ही उनको जिम्मेदारियां दी जाती हैं। चुनाव के समय तो दलबदल होता ही है।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, कांग्रेस
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी, कांग्रेस