भाजपा से पिछड़ी कांग्रेस
मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। अगर लोकसभा के चुनाव नतीजों को विधानसभा वार देखा जाए तो 211 सीटों पर कांग्रेस भाजपा से पिछड़ गई। कांग्रेस के मौजूदा 19 विधायक ही अपनी विधानसभा को जीत सके बाकी 96 विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस हार हुई है। वहीं, वोट प्रतिशत की बात की जाए तो विधानसबा में 41.6 फीसदी वोट पाने वाली भाजपा का लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत करीब 57 फीसदी रहा वहीं, कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में 41.5 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस का वोट प्रतिशत गिरकर करीब 33 फीसदी हो गया है।
मध्यप्रदेश की 29 में से 20 लोकसभा सीटों के विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया है। यह सीट रीवा, जबलपुर, भिंड, होशंगाबाद, विदिशा, मुरैना,सीधी, राजगढ़, सागर, सतना, देवास, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, बैतूल, उज्जैन, मंदसौर, इंदौर, खंडवा और खरगोन हैं। मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत की सबसे बड़ी वजह थी योजनाओं को लोगों तक पहुंचना। वहीं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर, पीएम आवास स्कीम और उज्जवला गैस योजना का फायदा भाजपा को हुआ है।
अन्य की सीट पर भी भाजपा को फायदा
इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के अलावा 7 सीटें अन्य़ के पास हैं। बसपा के पास 2, सपा के पास 1 और 4 निर्दलीय विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में सपा ने बिजावर, बसपा ने भिंड व पथरिया और निर्दलीयों ने वारासिवनी, बुरहानपुर, सुसनेर व भगवानपुरा सीट जीती थीं। सभी अन्य ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया है। इस नेताओं की सीट पर भी लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार को ज्यादा वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को कम वोट मिले हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार 980 वोट मिले थे, जो 2019 में बढ़कर 2 करोड़ 14 लाख 06 हजार 887 हो गए। जबकि कांग्रेस का वोट दिसंबर 2018 में एक करोड़ 55 लाख 95 हजार 153 था, जो अब 1 करोड़ 27 लाख 33 हजार 51 वोट रह गया।