मध्यप्रदेश को शर्मसार करने वाले हनीट्रैप कांड में राजगढ़ के थप्पड़ कांड की मिलावट से विरोध और विवाद का मामला त्रिकोणीय हो चुका है। थप्पड़ कांड की ठंडी पड़ रही आग में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव की पोस्ट ने घी का काम किया और भार्गव ने अपनी पोस्ट में आईएएस लॉबी को देवपुरुष बताते हुए जमकर ताने कसे। उन्होंने ब्यावरा की घटना को आधार बनाकर अफसर बिरादरी पर करारे वार किए।
इतना ही नहीं गुना कलेक्टर भास्कर लक्षकार की पोस्ट में भी अप्रत्यक्ष रूप से डकैतों के जिक्र पर भार्गव भड़के और उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से जोशी दंपति पर पड़े छापों का जिक्र कर ये बताने की कोशिश की कि यही वो लोग होते हैं जो हर तरह के ठेकों से लेकर खदानों तक में माल कूटते हैं और फिर अप्सराओं के साथ मधुपान करते हुए हनीट्रैप में फंसते हैं। इसके बाद एक करोड़ रुपया देते हैं।
उन्होंने सवाल किया था कि आखिर इनके पास इतना पैसा कहां से आता है। इसके बाद भार्गव ने लिखा कि उनके परिचित के पास ऐसे 8 अफसरों के हनीट्रैप वीडियो हैं। लेकिन वो प्रदेश की बदनामी के डर से कुछ अब तक चुप रहे। भार्गव ने चेतावनी भी दी कि वे नहीं चाहते कि सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाएं प्रदेश में आकर कार्रवाई करे। उन्होंने लिखा कि यही वो अफसर हैं जो मनचाही पोस्टिंग के लिए मंत्रियों के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। आखिर में उन्होंने लिखा कि इन्हीं अफसरों की वजह से नक्सलवादी पैदा होते हैं और अफसरों को सलाह दी कि वे कमलनाथ सरकार के लिए चालीसा लिखना शुरु कर दें।
कुल मिलाकर इस वक्त अफसरों के निशाने पर विपक्ष के नेता हैं तो विपक्ष के निशाने पर अफसरशाही। सवाल गंभीर हैं कि क्या आईएएस लॉबी की मजबूरी होती है सरकार के संग बहना या फिर ये अधिकारी खुद के फायदे के लिए तुरंत चोला बदलने में पीछे नहीं रहते। भार्गव के आरोपों और सवालों में दम है लेकिन सवाल तो उनसे भी है कि ये अफसर पिछले पंद्रह सालों में खूब फले-फूले हैं। पर हनीट्रैप में शामिल अफसरों के नाम छिपाकर आखिर वो प्रदेश का कौनसा भला कर रहे हैं। जिम्मेदारी सरकार की भी है जो बीजेपी वर्सेज ब्यूरोक्रेसी का भरपूर आनंद ले रही है। कुल मिलाकर हनीट्रैप कांड और थप्पड़ कांड में किरकिरी करा चुके अफसरों की अग्निपरीक्षा जारी है।