हाल ही में उपचुनाव में हार झेलने के बाद कमलनाथ के बयान पर अटकलों का दौर तेज हो गया है। कमलनाथ ने रविवार को कहा था कि अब मैं आराम करना चाहता हूं, मुझे किसी भी पद की कोई महत्वाकांक्षा और लालच नहीं है, मैंने काफी कुछ हासिल किया है। मैं घर पर रहने के लिए तैयार हूं। छिंदवाड़ा क्षेत्र की जनता ने कमलनाथ जी के पक्ष में जोरदार नारेबाजी कर कहा कि हम आपको एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, हम आपको संन्यास नहीं लेने देंगे। इसके बाद सोमवार को मीडिया के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि मैं राजनीति से उस दिन संन्यास ले लूंगा, जिस दिन मेरे छिंदवाड़ा की जनता कहेगी।
बयान के यह है मायने
हाल ही में उपचुनाव-2020 में 28 में से सिर्फ 9 सीटों पर ही कांग्रेस जीत दर्ज कर पाई थी। इसके बाद कमलनाथ के खिलाफ आवाजें उठने लगीं थीं। हालांकि उनके बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कमलनाथ सिर्फ कोई पद छोड़ने की बात कर रहे हैं या राजनीति से ही विदाई लेने की बात कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कमलनाथ मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता होने के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। उपचुनाव में हार के बाद नाथ पर कमजोर उम्मीदवार, गलत रणनीति और टिकट वितरण में मनमानी के आरोप लगातार लग रहे हैं। और तो और कई नेता उपचुनाव में हार का ठीकरा न सिर्फ कमलनाथ पर फोड़ रहे हैं बल्कि युवा नेतृत्व की जरूरत भी बता रहे हैं।
कांग्रेस ने किया स्पष्ट
बयान के बाद राजनीतिक अटकलें तेज होने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को स्पष्ट किया है। कांग्रेस की ओर से मीडिया को आर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा की जनता से कहा है कि जिस दिन जनता चाहेगी, उस दिन ही संन्यास लूंगा। कमलनाथ राजनीति में रहते हुए जन सेवा जारी रखेंगे। सलूजा ने कहा कि कमलनाथ इसके पूर्व भी कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे अपने राजनीतिक जीवन में कई उच्च पदों पर रह चुके हैं, केंद्रीय मंत्री के रूप में भी उन्होंने कई विभागों का दायित्व निभाया है, देश की जनता की वर्षों सेवा की है, उन्हें कभी पद व कुर्सी का मोह या लालच नहीं रहा है, वो तो मध्य प्रदेश भी प्रदेश की जनता की सेवा करने के लिये ही आए है।
मुख्यमंत्री पर साधा निशाना
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी निशाना साधा। कांग्रेस का कहना है कि जिन्हें कुर्सी प्रेमी मुख्यमंत्री कहा जाता है, जिन्हें कुर्सी व पद से सदैव मोह रहता है, बगैर कुर्सी के वो कभी रह ही नहीं सकते। कांग्रेस की सरकार को पांच वर्ष के लिए जनादेश मिला था, लेकिन शिवराजजी 15 माह भी कुर्सी से दूर नहीं रह पाए और सौदेबाजी और बोली से कांग्रेस की चुनी हुई सरकार को गिरा दिया।