इसमें दावा किया गया है कि गड़बड़ी नहीं पाई गई है। इससे पहले 1854 मतदाताओं के नाम की दोहरी प्रविष्टि की पुष्टि कर उन्हें हटा दिया गया था। जांच पर कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी ने सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को शिकायत भेजी थी। आयोग के निर्देश पर तीन नए पैरामीटर के आधार पर तीसरी बार जांच कराई गई है।
सीइओ सलीना सिंह ने बताया कि जनवरी 2018 की फोटोयुक्त मतदाता सूची को आधार बनाकर शिकायत की गई थी। जांच में सामने आया कि ऐसे नाम अब सूची में है ही नहीं। कलेक्टर रायसेन से मिली रिपोर्ट में गड़बड़ी सामने नहीं आई है।
कांग्रेस नेता ने की थी शिकायत
फर्जी वोटरों की गड़बड़ी को देखते हुए मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने पिछले दिनों कमलनाथ के नेतृत्व में दिग्गज नेताओं के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से मुलाकात की थी। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश में मतदाता सूची में बड़ा फर्जीवाड़ा है। कऱीब 60 लाख नाम इस फर्जीवाड़ा में सामने आये हैं। भाजपा इस पर आजतक चुप क्यों? मुंह क्यों नहीं खोला आज तक। कांग्रेस ने इस मामले को उठाया, हमने प्रमाण सहित सारा मामला चुनाव आयुक्त को सौंपा दिया है।
रिटरनिंग अफ़सर पर कार्यवाही हो…
एक ही मतदाता जिसका नाम, फ़ोटो, पता सब कुछ समान, उसका नाम एक ही बूथ से लेकर कई बूथों पर, अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में अंकित है। यहां तक कि पड़ोसी राज्य के सीमावर्ती इलाक़ों के नाम भी शामिल है। ये ग़लती नहीं है….जानबूझकर किया हुआ कृत्य है। हमारी मांग दोषी रिटरनिंग अफ़सर पर कार्यवाही हो, रिटरनिंग अफ़सर से शपथ पत्र लिया जाये। हमने सारे प्रमाण सौंप दिये है। जांच की मांग की है। भाजपा इसी प्रकार से चुनाव जीतती आयी है।
कांग्रेस ने आयोग से की ये 5 मांग
– वोटर लिस्ट की दुबारा जांच करें।
– हर रिटर्निंग ऑफिसर से सर्टिफिकेट मांगा जाना चाहिए।
– जिन्होंने बोगस वोटर को शामिल किया हो उनपर करवाई की जाए।
– अगली सूची में भी अगर गड़बड़ी पाई जाती है तो अधिकारी पर कार्रवाई की जाए।
– 6-10 साल तक किसी भी मतदान कार्य प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाए।