गुना की जंग में सिंधिया सल्तनत और दिग्विजय रियासत बड़ा फैक्टर है। गुना की चार में से तीन सीटें अभी सिंधिया समर्थकों से बाहर हैं। इनमें एक सीट पर दिग्विजय के पुत्र जयवर्धन सिंह और एक पर छोटे भाई लक्ष्मण सिंह काबिज हैं। एक सीट पर भाजपा विधायक गोपीलाल जाटव हैं। बमोरी सीट पर सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस का गेमप्लान अब गुना में सिसौदिया की हार पर फोकस करना है। सिसौदिया यदि हार जाते हैं तो पार्टी स्तर पर भाजपा और कांग्रेस की दो-दो सीटें हो जाएंगी। लेकिन, सिसौदिया की हार सिंधिया के लिए गुना में गेमओवर जैसी होगी।
हालांकि सिंधिया को हमेशा मलाल रहा है कि गुना सीट से उन्हें बेहद कम वोट मिलते हैं। यहां तक कि जब वे खुद चुनाव लड़ते हैं, तब भी गुना सीट उनका ज्यादा साथ नहीं देती। इसलिए यदि बामोरी से सिसौदिया हारे तो सिंधिया इस पूरे जिले से बाहर हो जाएंगे।
पूरे ग्वालियर-चंबल अंचल की सियासत ग्वालियर से कंट्रोल होती है। यहां अभी 6 में से 3 सीटों पर उपचुनाव है। इनमें सिंधिया समर्थक दो मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर और इमरती देवी डबरा से मैदान में हैं। तीसरी सीट ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल बाकी विधायक के रूप में भाजपा के टिकट पर हैं। कांग्रेस गेमप्लान के तहत तीनों सीट पर सिंधिया समर्थकों को हराने के लिए ताकत लगा रही है। ग्वालियर में कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां पूर्व मंत्री पीसी शर्मा, लाखन सिंह के साथ रामनिवास रावत, अशोक सिंह को कांग्रेस ने जुटा रखा है। पहले लाखन सिंह को सिंधिया समर्थक माना जाता रहा है, लेकिन सत्ता परिवर्तन के पहले वे सिंधिया से दूर हो गए थे।
ग्वालियर ग्रामीण सीट भाजपा के पास है। दक्षिण पर कांग्रेस के प्रवीण पाठक और भितरवार से लाखन सिंह विधायक हैं। सिंधिया समर्थकों के हाथ से उपचुनाव वाली तीन सीटें निकल गईं तो भाजपा के पास एक सीट रहेगी। इस तरह सिंधिया के लिए यहां गेमओवर हो जाएगा।