पर्दे के पीछे कौन: घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह को दिग्विजय सिंह का करीबी माना जाता है। ऐसे में आरएसआस के मुद्दे को वचन पत्र में शामिल करने के पीछे दिग्विजय सिंह भी हो सकते हैं। हालांकि खुद दिग्विजय सिंह भी लगातार संघ के खिलाफ हमला बोलते रहते हैं। संघ की विचार धारा को लेकर पहले भी कई बार हमला कर चुके हैं। ऐसे में वचन पत्र में संघ पर बैन लगाने की बात कांग्रेस के लिए नई नहीं हो सकती है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी संघ को लेकर हमललावर हैं और लगातार संघ पर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हैं। राहुल गांधी समेत कई नेता भाजपा पर संघ की विचारधारा पर चलने को लेकर खुली टिप्पणी कर चुके हैं। यहीं कारण है कि कांग्रेस संघ पर पाबंदी लगाना चाहती हैं।
महात्मा गांधी के जमाने से है बैन: बैन पर मचे सियासी घमासान के बीच दिग्विजय सिंह ने कहा है कि संघ पर बैन कोई नई बात नहीं है। यह बैन महात्मा गांधी के समय से लगा है। संघ राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा लेती है।
क्या कमलनाथ की मर्जी से उठाया गया संघ का मुद्दा: कांग्रेस के वचन पत्र में सबसे ज्यादा चर्चा का बिन्दु संघ पर बैन है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से सलाह लेकर इस मुद्दे को शामिल किया गया है। जानकारों का कहना है कि संभवत इस मुद्दे पर कमलनाथ की भी सहमति रही होगी क्योंकि कमलनाथ कहीं, ना कहीं संजय गांधी की राजनीति से प्रेरित थे। संजय गांधी भी संघ पर बैन चाहते थे। कांग्रेस के वचन पत्र में संजय गांधी के नाम से योजना शुरू करने का वादा किया गया है। इसलिए यह माना जा रहा है कि संघ के मुद्दे पर कमलनाथ की भी सहमति रही होगी। क्योंकि वचन पत्र में कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो संजय गांधी पर्यावरण मिशन प्रारंभ किया जाएगा।
क्या है कांग्रेस के वचन पत्र में?: कांग्रेस ने वचन पत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर प्रतिबंध लगाने का भी वादा कर दिया है। इसके बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में सियासी पारा गर्म हो गया है। कांग्रेस ने कहा है कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सरकारी इमारतों पर लगने वाली आरएसएस की शाखाओं पर बैन लगाया जाएगा।