ऐसे में जहां भाजपा के करीब 57 लाख कार्यकर्ता लापता होने के चलते पार्टी के नेताओं के माथों पर चिंता की लकीरें उभर आईं हैं। वहीं कांग्रेस की ओर से अपने नेताओं को खुश करने के लिए 2 माह में 1200 लोगों को पदाधिकारी बनाया गया है।
इन्हीं सब के बीच पार्टियां अपने नाराज नेताओं को भी मनाने की कोशिशों के चलते कई तरह की कोशिशें करती देखी जा सकती हैं।
ऐसी ही एक रणनीति के तहत प्रदेश के बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए संगठन ने नाराज कार्यकर्ताओं को पद से नवाजा है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 29 में से 20 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए अपनाए गए इस समन्वय के फॉर्मूले के तहत बड़े पैमाने पर ये नियुक्तियां की गई हैं।
बड़े नेताओं की सिफारिश पर विधानसभा चुनाव से अब तक दो महीने में करीब 1200 लोगों को प्रदेश महासचिव,सचिव से लेकर जिला और ब्लॉक कमेटी तक में पद दिए गए हैं। ये सारे पद प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, सांसद सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अन्य नेताओं की सिफारिश पर दिए गए।
संगठन ने ये फॉर्मूला कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने, घर बैठे नेताओं को काम पर लगाने और पार्टी में गुटबाजी दूर करने के लिए अपनाया। इस फॉर्मूले ने असर दिखाया और कार्यकर्ता लेटरहेड छपवाकर पार्टी के कामकाज में जुट गए हैं।
इन नेताओं की सिफारिश पर इतने पद :
प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कमलनाथ की सिफारिश पर सबसे ज्यादा नियुक्तियां की गई हैं। चूंकि उन पर जिम्मेदारी के साथ-साथ जीत का दबाव भी है,इसलिए वे सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं।
कमलनाथ के लिए ये लोकसभा चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गया है। उन्होंने 300 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पद दिलाए हैं।
सफलता का श्रेय सिंधिया को- Scindia
कांग्रेस महासचिव और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने क्षेत्र ग्वालियर-चंबल से करीब 150 कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी बनवाया है।
इस अंचल में सफलता का श्रेय भी सिंधिया को जाता है इसलिए कार्यकर्ताओं की अपेक्षा पूरी करने के लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को पद दिलाने में भी कोताही नहीं बरती।
समन्वय की कमान संभालने वाले दिग्विजय सिंह ने समन्वय बैठाने के लिए 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की सिफारिश की। उनके इस फॉर्मूले ने खूब असर दिखाया और बागी तेवर ठंडे पड़ते गए। प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने पूरे प्रदेश में बैठकें कर कार्यकर्ताओं का मानस टटोला और 200 लोगों को पदाधिकारी बनवा दिया।
अजय सिंह ने विंध्य, अरुण यादव ने निमाड़, कांतिलाल भूरिया ने आदिवासी क्षेत्र और सुरेश पचौरी ने मध्य क्षेत्र में संतुलन और समन्वय के लिए 50-50 से ज्यादा समर्थकों को संगठन में पद दिलवाए।
मंत्री न बनने से नाराज विधायकों से भी मांगे नाम :
कुछ वरिष्ठ विधायक ऐसे हैं जो मंत्री न बन पाने के कारण नाराज रहे हैं। इनमें केपी सिंह, एदल सिंह कंसाना, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, विक्रम सिंह नातीराजा,हीरा अलावा और बिसाहूलाल सिंह के नाम शामिल हैं।
संगठन ने इन नेताओं से भी पद देने के लिए उनके समर्थकों के नाम मांगे हैं। लोकसभा चुनाव में सबको साधकर चलने के लिए ये रणनीति अपनाई जा रही है। वहीं संगठन की ओर से नाराज नेताओं को ये संदेश भी दिया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद निगम-मंडलों की नियुक्तियों में उनको प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन सभी पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश भी दे दिए हैं। उन्होंने कहा है कि सिर्फ लेटरहेड और विजिटिंग कार्ड छपवाने के लिए उनको पदाधिकारी नहीं बनाया, लोकसभा चुनाव में गुटबाजी छोड़ पूरे मन से काम में जुट जाना है।
संगठन में नियुक्तियां सामान्य प्रक्रिया है, जो कार्यकर्ता जिस योग्य होता है उसे संगठन उसी काम में लगाता है। संगठन को मजबूत करने और विस्तार करने के लिए ये नियुक्तियां की गई हैं।
– चंद्रप्रभाष शेखर, संगठन प्रभारी,कांग्रेस