मध्यप्रदेश की वो सीटें जहां से कांग्रेस को 35 सालों से नहीं मिली जीत इंदौर
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की परंपरागत सीट है। सुमित्रा महाजन ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को हराया था। सुमित्रा महाजन को 8,54,972 (64.93 फीसदी) वोट मिले थे जबकि सत्यनारायण को 3,88,071(29.47 फीसदी) वोट मिले थे। सुमित्रा महाजन ने इस चुनाव में 4,66,901 वोटों से जीत हासिल की थी। सुमित्रा महाजन 1989 से लगातार यहां से चुनाव जीत रही हैं। सुमित्रा महाजन लगातार आठ बार से इस सीट से सांसद हैं वो देश की पहली महिला नेता हैं जो लगातार आठ बार सांसद पहुंची हैं। ऐसे में अगर दिग्विजय सिंह को यहां से चुनाव लड़ाया जाता है तो सुमित्रा महाजन और दिग्गिजय सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।
विदिशा
विदिशा लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2009 और 2014 में सुषमा स्वराज ने इस संसदीय सीट से चुनाव जीता था। यह सीट भाजपा के पास 1989 से हैं। यहां आखरी बार कांग्रेस को 1984 में जीत मिली थी। 1989 के लोकसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के पास आ गई। इसके बाद से यहां लगातार भाजपा की जीत हो रही है। इस बार यहां से शिवराज सिंह चौहान या उनकी पत्नी के चुनाव लड़ने की अटकलें हैं। अगर दिग्विजय सिंह यहां से चुनाव लड़ते हैं तो माना जा सकता है कि उम्मीदवार शिवराज सिंह चौहान होंगे और दोनों के बीट कांटे की टक्कर होगी। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले विदिशा संसदीय सीट से पांच बार सांसद रहे हैं।
भोपाल संसदीय सीट का भाजपा का गढ़ कहा जाता है। इस सीट पर आखरी बार कांग्रेस को 1984 में जीत मिली थी। भाजपा 1989 में पहली बार यहां से चुनाव जीता इसके बाद से यहां कांग्रेस कभी भी चुनाव नहीं जीत सकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के अलोक संजर ने जीत दर्ज की थी। इस बार यहां से भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा इसको लेकर अभी भी स्थिति साफ नहीं हुई है। माना जा रहा है कि केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर भी यहां से चुनाव लड़ सकते हैं हालांकि यह सिर्फ अटकलें हैं। दिग्विजय सिंह अगर यहां से चुनाव लड़ते हैं को भाजपा से उन्हें कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
भिंड लोकसभा सीट में कांग्रेस को लंबे समय से जीत नहीं मिली है। कांग्रेस ने यहां पर आखरी बार 1984 में जीत दर्ज की थी। राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं। 1989 से यह सीट भाजपा के पास है। उसके बाद से यहां से कभी कांग्रेस नहीं जीती।