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बड़ा ऐलानः विवेक तन्खा ही होंगे कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी

locationभोपालPublished: Apr 05, 2022 01:01:48 pm

Submitted by:

Manish Gite

जून में खाली होने वाली राज्यसभा की सीट पर दोबारा विवेक तन्खा को भेजने पर बनी सहमति, अरुण यादव और अजय सिंह को झटका…।

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विवेक तन्खा कश्मीरी पंडित हैं और वे हाल ही में कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का बिल लेकर आए थे।

भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की ओर से एक बार फिर राज्यसभा प्रत्याशी विवेक तन्खा ही होंगे। यह बयान दिग्विजय खेमे के दिग्गज नेता डॉ. गोविंद सिंह ने दिया है। उनके इस बयान के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को बड़ा झटका लगा है। यह दोनों ही दिग्गज राज्यसभा के लिए दावेदारी कर रहे थे।

 

डा. गोविंद सिंह ने मंगलवार को मीडिया को यह बयान दिया है। जून 2016 में विवेक तन्खा चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंचे थे। दो माह बाद उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। कश्मीरी पंडित विवेक तन्खा हाल ही में कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए राज्यसभा में प्राइवेट बिल लाए थे।

 

डा. गोविंद सिंह के बयान के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि यह दोनों ही दिग्गज बगैर किसी पद के हैं और राज्यसभा के लिए दावेदारी कर रहे थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी विवेक तन्खा के प्रति सहमत हैं। जबकि पार्टी में साफ-सुथरी छवी वाले विवेक तन्खा का कोई विरोधी नहीं है।

 

दिग्विजय सिंह गुट के हैं डा. गोविंद सिंह

कांग्रेस में शुरू से ही गुटबाजी और खेमेबाजी रही है। डा. गोविंद सिंह दिग्विजय सिंह गुट के हैं। यह बयान दिग्विजय सिंह गुट की तरफ से आने पर माना जा रहा है कि विवेक तन्खा पर दिग्विजय गुट की भी सर्वसम्मति है। इसके साथ ही दिग्विजय और कमलनाथ में भी अच्छी बांडिंग होने के चलते माना जा रहा है कि अब कांग्रेस की तरफ से विवेक तन्खा का राज्यसभा में जाना तय है।

 

तीन सीटें खालीं होंगी

मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें जून माह में खाली हो रही हैं। इनमें कांग्रेस से राज्यसभा में गए विवेक तन्खा, भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उईके शामिल हैं।

 

अजय सिंह का दबाव

बताया जाता है कि कमलनाथ पर अजय सिंह की ओर से भी राज्यसभा में भेजने का दबाव था। अजय सिंह का विन्ध्य में प्रभाव है। वे 2018 में चुरहट और 2019 में सीधी से लोकसभा चुनाव हार गए थे। तभी से उनके पास कोई पद नहीं हैं।

 

कमलनाथ पर उठाते रहे सवाल

अरुण यादव मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। जब कमलनाथ को मध्यप्रदेश लाया गया तब अरुण यादव को हटाकर ही कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। तभी से दोनों में आपसी तकरार मानी जाती है। अरुण यादव भी कई बार कमलनाथ पर सवाल उठा चुके हैं।

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