गुना-शिवपुरी संसदीय सीट सिंधिया परिवार का गढ़ है। इस सीट पर सिंधिया राजघराने के सदस्य का ही राज रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वो लोकसभा सीट है जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है। ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर जीतते आए हैं। इस सीट पर जब भी सिंधिया परिवार का कोई सदस्य मैदान में उतरा है उसे जीत मिली है। पिछले 4 चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया जीत रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के जयभान सिंह को हराया था।
विजयाराजे सिंधिया- सिंधिया परिवार की सियासत में एंट्री राजमाता विजयाराजे सिंधिया के कारण हुई थी। राजमाता विजयाराजे ही पहली पर सियासत में उतरी थीं। राजमाता सिंधिया पहली बार कांग्रेस के टिकट पर 1957 में गुना शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव जीता था। उसके बाद 1967 में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 1989 से 1999 तक वो लगातार यहां से भाजपा की उम्मीदवार के रूप में सांसद रहीं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने यहां से छह बार चुनाव लड़ा और 6 बार जीत दर्ज की। विजयाराजे सिंधिया यहां से लगातार चार बार चुनाव लड़ीं थी।
2002 उपचुनाव- ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के देशराज यादव को 4 लाख 25 हजार वोट से हराया।
2004 में बीजेपी के हरिवल्लभ शुक्ला को 86 हजार वोट से हराया।
2009 में बीजेपी के नरोत्तम मिश्रा को 2 लाख 50 हजार वोट से मात दी।
2014 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को 1 लाख 20 हजार वोट से हराया था।
ज्योतिरादित्य सिंधिया मनमोहन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं। राहुल गांधी का करीबी होने के कारण ही उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी है।
दादी का रिकार्ड तोड़ेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रेस ने एक बार फिर से ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर उन्हें टिकट मिलते ही वो सिंधिया परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं जो लगातार पांचवी बार गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगे। माधनराव सिंधिया यहां से लगातार तीन बार चुनाव लड़े तो विजयराजे सिंधिया यहां से लगातार चार बार चुनाव लड़ चुकी हैं। बता दें कि माधवराव सिंधिया अलग-अलग सीटों से लगातार 9 बार सांसद रहे तो वहीं, विजायराजे सिंधिया 7 बार सांसद बनीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार चार बार चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं वो पांचवीं बार फिर से मैदान में हैं।