आयोध्या नगर निवासी बाबूलाल जोनवार ने 22 नवम्बर 2016 को हबीबगंज से जम्मू की यात्रा के लिए परिवार के पंाच सदस्यों के टिकट बुक कराए थे। यात्रा के दौरान खर्च के लिए जोनवार ने 17 हजार रुपए अपने बैंक ऑफ महाराष्ट्रा के खाते में चैक से ट्रांसफर किए लेकिन यात्रा की तिथि तक चैक की राशि ही उनके खाते में नहीं पहुंची। आखिरकार परिवार को यात्रा निरस्त करनी पड़ी। जोनवार ने लिए 21 नवम्बर की रात टिक्ट कैसिंल करने के लिए ऑनलाइन कॉल सेंटर (139 ) पर निवेदन किया था, जिसको स्वीकार कर लिया गया था, और टिकट कैसिंल करने की प्रक्रिया शुरू होने का मैसेज आ गया था। 22 नवम्बर की सुबह उन्होंने हबीबगंज स्टेशन के काउंटर पर सम्पर्क किया कि जहां बताया था कि, टिकट रद्दीकरण की प्रक्रिया पहले से चल रही है। लेकिन समय बीतते जाने के बाद भी रिफंड नहीं आया। जोनवार ने लिखित शिकायत की, वे आवेदन करते गए लेकिन रेलवे ने कोई जबाव नहीं दिया। रेलवे न रिफंड दे रहा था न ही शिकायती पत्रों का कोई जबाव, इधर समय सीमा में चैक की राशि खाते में नहीं पहुंचा पाने वाला बैंक भी अपनी गलती नहीं मान रहा था। आखिरकार नवम्बर 2018 में उपभोक्ता फोरम में केस लगाया, 1860 रुपए की टिकट की राशि नहीं चुकाने पर रेलवे से क्षति पूर्ति मागी तो चैक को सही समय पर खाते में क्रेडिट नहीं करने को लेकर बैंक से भी हर्जाना मांगा।
लम्बी सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम ने बैंक पर जुर्माना ठोंका तो रेलवे को भी हर्जाना देने के निर्देश दिए। जोनवार बताते हैं, बैंक ने जहां अपनी गलती मानते हुए राशि चुका दी है वहीं रेलवे अब भी सुनवाई नहीं कर रहा है।