भटकने के बाद फोरम की शरण ली कंपनी और कंपनी के अफसरों के लंबे समय तक चक्कर लगाने के बाद परमार ने इसे उपभोक्ता फोरम में चुनौती दी और कहा कि बकाया राशि चुकाने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं दी जा रही है और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया गया। इस पर उपभोक्ता फोरम ने आदेश दिया है कि लोन देने वाली कंपनी हितग्राही को रजिस्ट्री की डुप्लीकेट कॉपी निकवाकर दो महीने में उपलब्ध करवाएं। साथ ही रजिस्ट्री नष्ट-गुम होने का प्रमाण पत्र भी दिया जाए, ताकि उपभोक्ता को भविष्य में कोई समस्या नहीं आए। फोरम ने इस तरह की लापरवाही को सेवा में गंभीर कमी माना है और कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यदि लोन कंपनी द्वारा समय पर दंड, रजिस्ट्री नहीं दी गई तो नौ प्रतिशत ब्याज की दर से पैसा देना होगा। कंपनी ने उपभोक्ता फोरम में जो दस्तावेज पेश किए और जवाब दिए हैं, उसके अनुसार रजिस्ट्री पानी के कारण नष्ठ नहीं हुई, बल्कि कंपनी की लापरवाही के कारण गुम हुई हैं।