दरअसल ग्वारीघाट रोड, जबलपुर निवासी पीडी बाखले साउथ सिटी माल में अपनी पत्नी के साथ सिनेमा देखने गए। यहां उनसे 80 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट दिए गए साथ में 30-30 रुपए के ब्रेक फास्ट के दो कूपन भी थमा दिए गए। परिवादी ने आपत्ति ली तो कर्मचारी ने इसे आवश्यक बता दिया। हालांकि टिकट पर इसका कहीं उल्लेख नहीं था। बाखले ने इस मामले को जिला उपभोक्ता फोरम में ले गए। वहां उन्होंने कूपन की कीमत 60 रुपए वापस दिलाए जाने, मानसिक, शारीरिक क्षतिपूर्ति के लिए 40 हजार रुपए दिलाए जाने सहित वाद व्यय दिलाने की मांग की। जबलपुर उपभोक्ता फोरम में सुनवाई के बाद आए उपभोक्ता ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। आयोग में अपील करने पर न्यायमूर्ति शांतनु एस केमकर एवं सदस्यगण एसएस बंसल व डॉ. श्रीकांत पांडे ने इस मामले की सुनवाई 4 मई को पूरी कर पीडि़त उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया कि सिनेमाघर सिनेमा देखने के लिए है ना कि ब्रेक फास्ट करने के लिए। इसलिए पीडि़त उपभोक्ता को कूपन का मूल्य वापस दिलाने, मानसिक क्लेस तथा वाद व्यय की राशि सिनेमा संचालक उपलब्ध कराए। इस मामले में जिला उपभोक्ता फोरम, जबलपुर में फोरम अध्यक्ष केके त्रिपाठी, सदस्यगण योमेश अग्रवाल एवं अर्चना शुक्ला ने सुनवाई की थी।