स्टूडेंट्स की समस्याएं पता करने शुक्रवार सुबह सांसद आलोक संजर और शाम को विधायक रामेश्वर शर्मा भी पहुंचे, जहां दोनों को एक छात्रा बताया कि डायरेक्टर उनके कपड़ों को लेकर भद्दे कमेंट्स करते हैं। कहते हैं, तुम जैसी लड़कियां शर्म और इज्जत बेचकर आती हैं। स्टूडेंट्स डायरेक्टर को तानाशाह बताकर उन्हें तत्काल हटाने की मांग कर रहे हैं। वह किसी भी आश्वासन पर आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। छात्रों ने भूख हड़ताल भी शुरू कर दी है।
इनका आरोप है कि एनएलआईयू में आर्थिक गड़बडि़यां, जात-पात, लिंगभेद जैसी घटनाएं हावी होती जा रही हैं। उधर, प्रो.एसएस सिंह ने बताया कि उन्होंने खुद स्टूडेंट्स से मिलकर पूछा था कि यूनिवर्सिटी छोड़ दें क्या, तो मना करने लगे, लेकिन स्टूडेंट्स ने कहा कि किसी ने भी उनसे ये नहीं कहा।
मंत्री से भी मिले छात्र :
विधायक रामेश्वर शर्मा छात्रों के प्रतिनिधि मंडल को लेकर उच्च शिक्षामंत्री जयभान सिंह पवैया से मिले। मंत्री ने कहा कि डायरेक्टर की कई शिकायतें उन्हें लगातार मिल रही हैं। इस संबंध में राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का अनुरोध करेंगे।
विधायक रामेश्वर शर्मा छात्रों के प्रतिनिधि मंडल को लेकर उच्च शिक्षामंत्री जयभान सिंह पवैया से मिले। मंत्री ने कहा कि डायरेक्टर की कई शिकायतें उन्हें लगातार मिल रही हैं। इस संबंध में राज्यपाल को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का अनुरोध करेंगे।
स्टूडेंट्स ने उठाए यह मुद्दे :
मेडिकल ग्राउंड पर भी अटेंडेंस पर छूट नहीं दी जाती। एक छात्र की बहन कैंसर से पीडि़त थी। उसने राहत मांगी लेकिन उन्हें पढ़ाई छोडऩी पड़ी। स्टूडेंट्स का कहना है कि मेडिकल ग्राउंड पर तो अटेंडेंस में छूट मिलनी चाहिए।
मेडिकल ग्राउंड पर भी अटेंडेंस पर छूट नहीं दी जाती। एक छात्र की बहन कैंसर से पीडि़त थी। उसने राहत मांगी लेकिन उन्हें पढ़ाई छोडऩी पड़ी। स्टूडेंट्स का कहना है कि मेडिकल ग्राउंड पर तो अटेंडेंस में छूट मिलनी चाहिए।
परीक्षा और मूल्यांकन की प्रक्रिया में लापरवाही की जा रही है। जिसमें उत्तरपुस्तिका के कोडिंग डिकोडिंग का सिस्टम नहीं है, जिससे निष्पक्षता से मूल्यांकन हो सके। मूल्यांकन इसी यूनिवर्सिटी में होता है। इसलिए गड़बड़ी की संभावना बनी रहती है।
रिजल्ट समय पर जारी नहीं किए जाते। रिवेल्यूएशन के रिजल्ट के लिए भी महीनों इंतजार करना पड़ता है। जबकि हर ट्राइमेस्टर में रिजल्ट 14 दिन में जारी कर दिए जाने चाहिए। इसके अलावा ग्रेडिंग की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता नहीं है। लाइब्रेरी की टाइमिंग एेसी है जिससे स्टूडेंट उसका सही से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अन्य विवि में २४ घंटे लाइब्रेरी खुली रहती हैं और यहां रात एक बजे तक ही खोलने का बोल रहे हैं।
डायरेक्टर बोले, आरोप झूठे हैं
डायरेक्टर डॉ. सिंह ने कहा कि स्टूडेंट्स द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वे झूठे हैं। मैंने इस यूनिवर्सिटी को इस स्तर पर पहुंचाने के लिए काफी मेहनत की है। दूसरा कार्यकाल पूरा होने वाला है। मैं खुद छोडऩा चाहता हूं, इसके लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी मैं आग्रह करने वाला हूं।
डायरेक्टर डॉ. सिंह ने कहा कि स्टूडेंट्स द्वारा जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वे झूठे हैं। मैंने इस यूनिवर्सिटी को इस स्तर पर पहुंचाने के लिए काफी मेहनत की है। दूसरा कार्यकाल पूरा होने वाला है। मैं खुद छोडऩा चाहता हूं, इसके लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से भी मैं आग्रह करने वाला हूं।
स्टूडेंट्स की हर बात नहीं मानी जा सकती। देर रात तक लाइब्रेरी कैसे खोली जा सकती है, अभिभावक ही इसमें राजी नहीं होंगे। भविष्य में कुछ घटना होती है तो कौन जिम्मेदार होगा। दूसरे विवि के उदाहरण देना आसान है। लेकिन एक विवि में ड्रेस कोड लागू है तो यहां स्टूडेंट ड्रेस कोड की डिमांड क्यों नहीं करते।
स्टूडेंट परेशान हैं, इसलिए मैं उनसे मिलने गया था। स्टूडेंट्स का कहना है कि उनकी समस्याएं हल होंगी एेसा लिखित में मिलना चाहिए। मैंने डायरेक्टर को कहा है कि वे उनकी समस्याएं हल कराएं।
– आलोक संजर, सांसद भोपाल
– आलोक संजर, सांसद भोपाल