सरकारी स्कूल के बच्चे भी ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार और जॉनी-जॉनी यस पापा जैसी पोइम पढ़ेंगे। इस तरह की पढ़ाई के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सरकार इसी सत्र से ये पढ़ाई शुरु करने जा रही है। पांच जिलों भोपाल, छिंदवाड़ा, सीहोर, शहडोल और सागर के करीब डेढ़ हजार स्कूलों में ये प्रयोग किया जा रहा है। यदि ये प्रयोग सफल रहा तो पूरे प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा। राज्य शिक्षा केंद्र के प्र्र्र्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी दे दी है। जल्द ही चिन्हित किए गए इन जिलों के स्कूलों में ये कोर्स शुरु हो जाएगा।
पढ़ाई का आधार मजबूत बनाने की कोशिश :
विभाग की कोशिश बच्चों की नींव मजबूत करना है। यदि प्राथमिक शिक्षा में उसकी पढ़ाई का आधार मजबूत हो गया तो बच्चे आगे की कक्षाओं में बेहतर रिजल्ट ला पाएंगे। विभाग का मानना है कि सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत छह साल में ही एडमिशन होता है।
पढ़ाई का आधार मजबूत बनाने की कोशिश :
विभाग की कोशिश बच्चों की नींव मजबूत करना है। यदि प्राथमिक शिक्षा में उसकी पढ़ाई का आधार मजबूत हो गया तो बच्चे आगे की कक्षाओं में बेहतर रिजल्ट ला पाएंगे। विभाग का मानना है कि सरकारी स्कूलों में आरटीई के तहत छह साल में ही एडमिशन होता है।
बच्चा जब पहली कक्षा में एडमिशन लेता है तब तक कान्वेंट के बच्चे तीन क्लास नर्सरी,केजी वन और केजी टू की पढ़ाई कर चुके हैं। इसलिए वो कान्वेंट के स्कूलों से व्यवहारिक रुप से तीन क्लास पीछे हो जाता है। इसीलिए सरकारी स्कूलों की पढ़ाई का पैटर्न बदलने की कोशिश की जा रही है।
सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी की पढ़ाई छटवीं कक्षा से शुरु होती है। सरकार का प्रयास ये भी है कि अंग्रेजी को पहली कक्षा से ही पढ़ाया जाए। ये पूरी कवायद सरकारी स्कूलों को कान्वेंट की तरह बनाने के लिए की जा रही है।
आठवीं के बच्चे नहीं कर पाए पांचवीं के सवाल :
सरकार ने पढ़ाई का स्तर जानने के लिए ब्रिज कोर्स के जरिए टेस्ट लिया था। इसमें पांचवीं से आठवीं तक के बच्चों का टेस्ट लिया गया था। इसके परिणाम ने सरकार को सकते में ला दिया।
आठवीं के बच्चे नहीं कर पाए पांचवीं के सवाल :
सरकार ने पढ़ाई का स्तर जानने के लिए ब्रिज कोर्स के जरिए टेस्ट लिया था। इसमें पांचवीं से आठवीं तक के बच्चों का टेस्ट लिया गया था। इसके परिणाम ने सरकार को सकते में ला दिया।
आठवीं कक्षा के बच्चे पांचवीं के गणित के सवाल हल नहीं कर पाए। इस तरह के कमजोर परिणाम के आधार पर बच्चों का भविष्य बेहतर नहीं माना जा सकता। सरकार ने इस परिणाम को बदलने के लिए कान्वेंट पैटर्न अपनाने का फैसला किया है।
जो शिक्षक योग्य नहीं वे बाहर जाएंगे :
सरकार ने उन शिक्षकों की भी परीक्षा ली है जो पढ़ाने में कमजोर हैं। सरकार ने सरकारी स्कूलों के तीन साल के रिजल्ट के आधार पर उन शिक्षकों का चयन किया है जिनके विषय का रिजल्ट लगातार खराब आ रहा है।
जो शिक्षक योग्य नहीं वे बाहर जाएंगे :
सरकार ने उन शिक्षकों की भी परीक्षा ली है जो पढ़ाने में कमजोर हैं। सरकार ने सरकारी स्कूलों के तीन साल के रिजल्ट के आधार पर उन शिक्षकों का चयन किया है जिनके विषय का रिजल्ट लगातार खराब आ रहा है।
पहले चरण में करीब पांच हजार शिक्षकों को भोपाल बुलाकर परीक्षा करवाई गई जिसके नतीजे भी बेहतर नहीं आए। सरकार ने इन शिक्षकों को दो महीने की विशेष ट्रेनिंग दी और फिर से परीक्षा करवाई है।
इस परीक्षा में जो शिक्षक फेल हो जाएंगे उनको बाहर का रास्ता दिखाने पर विचार किया जा रहा है। सरकार ऐसे शिक्षकों से बच्चों की पढ़ाई की जगह अन्य काम करवाने पर भी विचार कर रही है।
हम बच्चों की नींव मजबूत करना चाहते हैं, इसलिए सरकारी स्कूलों में भी बच्चे नर्सरी और केजी क्लास पढ़ेंगे। फिलहाल इसका प्रयोग पांच जिलों के चिन्हित स्कूलों में किया जा रहा है। हम सरकारी स्कूलों की पढ़ाई का स्तर भी ऐसा बनाना चाहते हैं ताकि लोग अपने बच्चों का एडमिशन प्राइवेट की जगह सरकारी स्कूलों में करा सकें।
– प्रभुराम चौधरी, स्कूल शिक्षा मंत्री,मप्र