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3000 से भी कम रहा बूस्टर डोज ‘कॉर्बेवैक्स’

locationभोपालPublished: Sep 18, 2022 01:30:56 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

अगस्त के मध्य में कॉर्बेवैक्स खुराक की संख्या 80,000 थी। तब से केवल 2,547 खुराक ही दी गई हैं।

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भोपाल। केंद्र सरकार के नए दिशानिर्देशों के बाद से बूस्टर खुराक के रूप में शुरू होने के बाद से भोपाल में करीब 2,547 कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है।
अगस्त के मध्य में कॉर्बेवैक्स खुराक की संख्या 80,000 थी। तब से केवल 2,547 खुराक ही दी गई हैं। कॉर्बेवैक्स देश का पहला स्वदेशी रूप से विकसित आरबीडी प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है। केंद्र सरकार के नए दिशा निर्देशों तक, इसका उपयोग 12-14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को टीका लगाने के लिए किया जाता था। भोपाल में दी गई सभी 83,454 एहतियाती खुराकों में से लगभग 3 फीसदी कॉर्बेवैक्स हैं। हांलाकि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हैं।

आपको बता दें कि इस वैक्सीन को हैदराबाद की फार्मा कंपनी बायोलॉजिकल ई ने बनाया है। अनुमान के मुताबिक जिन बच्चों का जन्म 2008, 2009 और 2010 में हुआ है, उन्हें ही यह वैक्सीन लगवाई जा सकती है। दिसंबर में इसे आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। इसके बाद 21 फरवरी को इसे 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों को भी लगाने की मंजूरी मिल गई।
यह देश की पहली प्रोटीन बेस्ड वैक्सीन है। जबकि देश में ही बनाई गई कोरान की तीसरी वैक्सीन है। प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन का मतलब है कि ये पूरे वायरस के बजाय उसके एक हिस्से का इस्तेमाल कर इम्युनिटी पैदा करती है। इस वैक्सीन में कोराना वायरस के एस प्रोटीन का इस्तेमाल किया गया है। जैसे ही यह प्रोटीन शरीर में जाता है, वैसे ही इम्युन रिस्पॉन्स एक्टिवेट हो जाता है और वायरस लडऩा शुरू कर देता है।

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