सरकार के इस निर्णय से राज्य के कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी भी बढ़ी है। कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना संकट के कारण वे सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। एक दिन का वेतन देने का एलान वे पहले से ही कर चुके हैं। ऐसे में कर्मचारियों को भरोसे में लिए बिना महंगाई भत्ते का आदेश निरस्त किया जाना उचित नहीं है। सरकार ने पेंशनर्स के डीए के आदेश जारी नहीं किए थे।
कर्मचारियों का डीए रोक दिए जाने के सरकार को प्रतिमाह 250 रुपए करोड़ रुपए की बचत होगी। जबकि 8 माह का एरियर का हिसाब लगाया जाए तो इससे सरकार के 2 हजार करोड़ रुपए बचेंगे।
मध्यप्रदेश् के कर्मचारी डीए के मामले में केन्द्रीय कर्मचारियों की तुलना में चार प्रतिशत पीछे थे, क्योंकि केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को हाल ही में चार प्रतिशत डीए दिया है। कर्मचारी उम्मीद कर रहे थे कि उन्हें यह चार प्रतिशत डीए मिल जाने से वे केन्द्रीय कर्मचारियों के समान हो जाएंगे लेकिन उन्हें यह डीए मिलना तो दूर पांच प्रतिशत और काट लिया गया। इससे वे केन्द्रीय कर्मचारियों की तुलना में 9 प्रतिशत पीछे हो गए हैं। मालूम हो राज्य कर्मचारियों को 12 प्रतिशत और केन्द्रीय कर्मचारियों को 21 प्रतिशत डीए मिल रहा है।