देश में दवा उत्पादन के लिए 40 फीसदी कच्चा माल चीन से आता है। कोरोना के चलते एक महीने से सप्लाई नहीं हो सकी है। प्रदेश में मेट्रोनिडाजोल की बड़ी खपत है। एंटीबायोटिक दवाओं का भी ज्यादातर कच्चा माल चीन से आता है। पीरियड्स में दी जाने वाली दवा ट्रेनेक्जामिक, अलर्जी में दी जाने एजिथ्रोमायसीन टैबलट के निर्माण पर भी असर पड़ रहा है। दर्द, बुखार और एंटीबायोटिक के साथ खून पतला करने वाली दवाओं की कमी हो रही है। नॉफ्र्लाक्स टीजेड का बड़ा आर्डर सप्लाई देने से कंपनियां इनकार कर रहीं हैं। विटामिन सी की कमी है। पैरासिटामॉल के साथ एंटीबायोटिक पर भी खासा असर है।
थोक दवा बाजार में मॉस्क की दो हफ्ते से किल्लत है। एन-95 मास्क प्रदेश में नियमित रूप से नहीं मिल रहा है। सर्जिकल उपकरणों के दाम बढ़ गए हैं। 500 एमएल वाला सेनिटाइजर 230 से 350 रुपया पहुंच गया है। बीपी मशीन 959 से 1100 रुपए और नेबुलाइजर 1080 से 1208 रुपए हो गया है। हिमाचल प्रदेश की जैनरिक दवा निर्माता कंपनी के सीनियर सेल्स मैनेजर आशीष सिंघल बताते हैं कि पैरासिटामॉल टैबलट के कच्चे माल के दाम 20 से 30 फीसदी तक बढ़ कर 425 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है। इसी तरह डायक्लोफिनाक पोटैशियम पाउडर 150 रुपए बढ़कर 1100 रुपये प्रति किलो हो गई है।
सर्जिकल मार्केट में मास्क की आपूर्ति ठप पड़ी है। सर्जिकल आईटम्स विक्रेता मनोज दमानी बताते हैं कि कंपनियों ने सप्लायर को स्टॉक देने से मना कर दिया है। चीन में मास्क की किल्लत होने से कंपनियां और बड़े डीलर दोगुने से भी ज्यादा दाम पर इसे सीधे चीन भेज रहे हैं। आशंकित लोग 10 रुपए में मिलने वाला डिस्पोजेबल मास्क 50 रुपए और 100 रुपए वाला एन95 मास्क 500 रुपए तक में खरीद रहे हैं। हालांकि ये भी मुश्किल से मिल रहे हैं।
हैपरिन, पैरासीटामॉल, एजिथ्रोमाइसिन, एम्पीसिलीन, एम्लोमाइसिन, टेट्रामाइसिन, पैनीसिलीन, विटामिन सी और डी लोगों की जरूरतों के अनुसार सप्लाई करें
फिलहाल दिक्कत नहीं है। लेकिन यह तय है रॉ मटीरियल की सप्लाई नहीं हो रही, ऐसे में थोड़ी शॉर्टेज तो है। हमने अपने एसोसिएशन को कहा है कि वे लोगों की जरूरतों के अनुसार सप्लाई करे। किसी को दवाओं की दिक्कत ना होने पाए।
— राजीच सिंघल, महासचिव, ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ऐसोसिएशन
— गौतम चंद ढींग, अध्यक्ष, मप्र केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट ऐसोसिएशन