भोपाल

कोरोना जांच में गड़बड़झाला, गायब हो रहे सैंपल-डाटा

– बैकलॉग से मिलान में भारी अंतर : बुलेटिन में बार-बार बदला जा रहा पैटर्न

भोपालMay 27, 2020 / 12:43 am

anil chaudhary

RPF constable corona positive in Khandwa 

भोपाल. प्रदेश में कोरोना के डाटा में आंकड़ेबाजी का खेल थमा नहीं है। पिछले सात दिन में डाटा में औसत सवा सौ सैंपल का हेर-फेर हुआ है। इससे पहले भी करीब साढ़े सात हजार सैंपल की रिपोर्ट गायब हो चुकी है। इसके बाद अब पॉजिटिव, नेगेटिव और रिजेक्ट केस बताने के बावजूद डाटा में अंतर सामने आ रहा है।

दरअसल, प्रदेश सरकार कोरोना हेल्थ बुलेटिन का पैटर्न लगातार बदल रही है। इसके कॉलम में अब तक चार बाद बदलाव किया जा चुका है। अब नए मरीज, कुल मरीज, मौतें, स्वस्थ मरीज और एक्टिव केस का डाटा दिया जा रहा है। वहीं, कुल सैंपल रिपोर्ट, पॉजिटिव, नेगेटिव व रिजेक्ट सैंपल भी बताए जा रहे हैं, लेकिन इनमें हर दिन का मिलान बैकलॉग से करने पर अंतर आ रहा है। इसमें बार-बार डाटा गायब कर दिए जा रहे हैं।
– मई में कब कितना अंतर
तारीख – अंतर
18 – 2897 प्लस
19 – 72 प्लस
20 – 6&9 माइनस
21 – 420 प्लस
22 – 625 माइनस
2& – 790 माइनस
(अंतर बैकलॉग के डाटा से हर दिन के नए डाटा की तुलना के आधार पर।)

 

– अंतर कैसे ?
हर दिन डाटा में अंतर पिछले बैकलॉग को जोडऩे पर सामने आता है। मसलन, पिछले दिन जितने नए केस बताए और अगले दिन जो केस बढ़ते हैं, उनका जोड़ बार-बार गलत कोड किया जा रहा है। इसमें कभी संख्या बढ़ा दी जा रही है, तो कभी घटा दी जा रही है। इसमें बैकलॉग का जोड़ करने पर संख्या में हर बार अंतर आ जाता है। मसलन, 18 मई की स्थिति में पिछले वास्तविक कुल टेस्ट 8270 थे, जबकि नए टेस्ट 5&7& दर्ज किए गए। कुल टेस्ट रिपोर्ट इसी दिन 112168 बताई गई, जबकि पॉजिटिव केस 52&6 और नए केस 259 बताए गए। वहीं नेगेटिव केस 5114 और रिजेक्ट टेस्ट 29 बताए गए। इससे पिछले बैकलॉग से 2897 सैंपल का अंतर दर्ज किया गया। अगले दिन 19 मई को यह बदलकर महज 72 हो गया।
00 वर्जन ….
सैंपल के डाटा में बार-बार अंतर आ रहा है। वजह यह कि सरकार असली डाटा छिपा रही है। इसी कारण सैंपल की रिपोर्ट गायब की जा रही है।
– अमूल्य निधि, राष्ट्रीय सह-समन्वयक, जन स्वास्थ्य अभियान
कोरोना के डाटा में अंतर आना या हेर-फेर करना बेहद घातक है। इससे संक्रमण की असली स्थिति के आकलन में चूक होगी, जिससे संक्रमण को रोकने के प्रयास फेल हो सकते हैं। इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
– डॉ. विवेक नाहर, विशेषज्ञ, पब्लिक हेल्थ

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