गौरतलब है कि पत्रिका ने अपने 4 अप्रेल के अंक में किसी भी बच्चे की स्कूल फीस नहीं हुई माफ, अब स्कूल वाले कर रहे परेशान। शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया था कि किसी बच्चे के चचेरे नाना और बुआ फीस भर रहे हैं। इसके बाद ही शासन स्तर से अधिकारी हरकत में आए।
शासन ने ये की है घोषणा
उच्च शिक्षा:
- केंद्रीय विश्वविद्यालय तथा प्रदेश में स्थित सभी विद्यालय, महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर संचालित पाठ्यक्रमों में पढाई कर रहे छात्रों को प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क सहित अन्य वास्तविक शुल्क, मेस शुल्क सहित लाभ देय होगा। कौशनमनी जमा कराने की छूट रहेगी। बाल हितग्राहियों का प्रवेश निशुल्क होगा।
- निजी और अशासकीय विवि जहां फीस का निर्धारण मप्र निजी विवि विनिमायक आयोग की तरफ से किया जाता है। उनमें पढऩे वाले छात्रों को 15000 का भुगतान किया जाएगा।
तकनीकी शिक्षा:
- इसके तहत स्नातक, पॉलीटेक्निक डिप्लोमा, आईटीआई, पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में पढने वाले छात्र-छात्राओं को इस प्रकार सहायता दी जाएगी। बाल हितग्राही जो शासकीय अनुदान प्राप्त इंजीनियरिंग महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त करता है। इसका शुल्क शासन द्वारा दिया जाएगा।
- निजी इंजीनियरिंग महाविद्यालय में जेईई मैंस परीक्षा या अलग से प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला लेने वालों को 1.50 लाख प्रतिवर्ष शासन स्तर से वहन किया जाएगा।
- इसी प्रकार चिकित्सा शिक्षा, विधि शिक्षा में प्रावधान किए गए हैं।
स्कूल शिक्षा में ये व्यवस्था
कक्षा 1 से 8 तक
- शासकीय विद्यालयों में बाल हितग्राही को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी।
- निजी स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत पढ़ाई कर रहे छात्रों के मामले में शुल्क सीधे संबंधित स्कूल में जमा किया जाएगा।
- आरटीई कोटे से अलग निजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं या होंगे तो ऐसे छात्रों की फीस विभाग की तरफ से दी जाएगी।
कक्षा 9 से 12 तक
- सरकारी स्कूलों में बाल हितग्राही को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी।
- निजी स्कूल में पढ़ाई करने वाले बाल हितग्राही को हर साल 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा अन्य वित्तिय सहायता, बाल हितग्राही को सामान्य शासकीय योजना के अंतर्गत मिलने वाली छात्रवृत्ति का लाभ अलग होगा।