बीएचईएल कारखाने के तीन नंबर ब्लाक में काम करने वाले एक कर्मचारी के पिता कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद उस कर्मचारी को आईसोलेशन में भेज दिया गया, वहीं कारखाने में कर्मचारी के साथियों को भी क्वारंटीन कर दिया गया। कोरोना की दस्तक के बाद पूरे भेल प्रशासन में हड़कंप मच गया, हालांकि प्रबंधन की पहले से तैयारी काम आई और उन्होंने फिलहाल कोरोना को फैलने से रोक दिया।
कर्मचारी के परिवार में 4 पाजिटिव
बीएचईएल कारखाने के ब्लाक तीन के कर्मचारी के पिता की रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई थी। तत्काल ही बीएचईएल प्रबंधन ने कर्मचारी को तत्काल आइसोससेशन में भेज दिया। जहां दूसरे दिन कर्मचारी समेत उसके परिवार के चार सदस्यों की रिपोर्ट भी पाजिटिव आ गई। इसके बाद ब्लाक 3 में काम करने वाले उसके साथी कर्मचारियों को भी क्वारंटीन कर दिया गया।
12 हजार कर्मचारी करते हैं काम
बीएचईएल कारखाने में 12 हजार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इनमें परमानेंट अधिकारी-कर्मचारी, श्रमिक, ठेका श्रमिक और भेल की सोसायटियों में काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं।
50 प्रतिशत कर रहे हैं काम
भेल प्रबंधन ने लॉकडाउन के चलते पहले तो कारखाना बंद रखा बाद में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को ही कारखाने में बुलाने के आदेश दिए गए। इनको भी तीन शिफ्टों में बांट दिया गया। जबकि बाकी को वर्क फ्रॉम होम करने या जरूरत के मुताबिक अल्टरनेट दफ्तर बुलाया जा रहा है।
गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग
भेल प्रबंधन ने चारों दिशाओं में बने कारखाने के गेट से आवाजाही बंद कर सिर्फ 5 नंबर और 6 नंबर गेट को ही खोला है। इन गेट पर सभी कर्मचारियों की सबसे पहले स्क्रीनिंग, सेनेटाइजिंग किया जाता है। यहां तक कि कर्मचारियों को सेनेटाजर गेट से गुजरना पड़ता है। साथ ही सभी ब्लाकों में जहां कर्मचारी काम करते हैं वहां भी सेनेटाइजिंग और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ काम कराया जा रहा है।
इंजीनियरों ने बना दिया सैनिटाइजर रूम
बीएचईएल के इंजीनियरों ने हाल ही में सेनिटाइजर रूम बनाए हैं, जिसे टाउनशिप स्थित कस्तूरबा अस्पताल और बीएचईएल कारखाने में लगाया गया है। इसकी खास बात यह है कि इस रूम की पहली सीढ़ी पर कदम रखते ही पैडल दब जाता है और मशीन अपना काम शुरू कर देती है। यह स्टीम टरबाइन मेन्यूफैक्चरिंग (एसटीएम डिवीजन ने बनाया है।