पढ़ें ये खबर- दूध, ब्रेड या सब्जी के साथ कहीं आपके घर तो नहीं आ रहा संक्रमण, इन बातों पर दें ध्यान
दरअसल, देशभर में कोरोना वायरस को लेकर यह अफलाह उड़ रही थी की कोरोना वायरस मरीज के श्वसन बूंदों से भी फैल सकता है और यह वायरस हवा से भी फैल सकता है। जिसे लेकर शुक्रवार को WHO ने बयान देते हुए इस बात को आधा सच बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है की कोविड-19 बीमारी का कारण बनने वाला वायरस मुख्य रूप से ‘श्वसन’ की छोटी बूंदों और निकट संपर्कों’ के माध्यम से फैलता है। यह वायरस हवा में ज्यादा देर तक जीवित नहीं रहता है।
पढ़ें ये खबर- Coronavirus Prevention: कोरोना से बचाए रखेगा ये योग, घर में कर लें सिर्फ पांच मिनट
कोरोना वायरस को लेकर WHO का कहना है कि यह वासर अलग-अलग प्रकार की सुक्ष्म बूंदों के माध्यम से सबसे ज्यादा फैलता है। जैसे छींकनें पर (ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन) होता है और अगर कोई व्यक्ति छींक रहा है और उसके संपर्क में कोई व्यक्ति आता है जो कि उससे एक मीटर के अंदर है। इसलिए जिसे खांसी, सर्दी हो उससे एक मीटर की दूरी रखें। WHO ने ये भी बताया की जो भी संक्रमित कण (ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन) सूक्ष्म बूंदों के जरिए फैलते हैं उनका आकार आमतौर पर 5-10 माइक्रॉन होता है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति के आसपास के वातावरण में सतहों या वस्तुओं को छूने से भी यह संक्रमण फैल सकता है और संगठन ने यह भी बताया कि हवा में फैलने वाला संक्रमण ‘ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन’ से अलग है, क्योंकि यह सूक्ष्म बूंदों के भीतर जीवाणुओं की मौजूदगी को दिखाता है और ये जीवाणु आम तौर पर व्यास में पांच माइक्रॉन से कम के छोटे कण के रूप में होते हैं।