शुरू हो गई लापरवाही
जून में हालात जनवरी की तरह ही है। दिसंबर में कोरोना की पहली लहर खत्म होने के बाद जनवरी में संक्रमण कम हो गया था। मरीजों की कम संख्या के चलते प्रतिबंध हटे तो लापरवाही शुरू हो गई। इसका असर दो महीने बाद मार्च में दूसरी लहर के रूप में दिखी जो खतरनाक थी। विशेषज्ञों का कहना कि अब फिर वही लापरवाही की तो अगस्त-सितंबर में तीसरी लहर का आना तय है।
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जनवरी के शुरुआती दो सप्ताह में 1926 नए मरीज मिले यानी रोज करीब 1501 इस हिसाब से जून में हालात बेहतर है। जून में 1681 मरीज मिल चुके हैं यानी रोज औसत 2129 मरीज जो एक अप्रेल और मई के मुकाबले कम है। जनवरी लापरवाही से मार्च में दूसरी हर की शुरुआत हुई। अप्रैल में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोरोना कर्फ्यू के 14 दिन बाद ही यानी 25 अप्रेल को पीक आ गया था। उस समय शहर में रोज 1500 से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे।
अपनी ना सही बच्चों की तो चिंता करें
विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। यदि अब लापरवाही करेंगे तो इसका खामियाजा बच्चे भुगत सकते हैं। इसलिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है।