भोपाल

हमारी संस्कृति का हिस्सा बनता जा रहा है भ्रष्टाचार : जग्गी वासुदेव

भोपाल आए ईशा फाऊंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि हम जीवन में हर काम ऐसे करें कि उससे मिट्टी-पानी का पोषण हो, इसी से नदियां बचेंगी।

भोपालSep 24, 2017 / 09:41 am

दीपेश तिवारी

भोपाल। ईशा फाऊंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव का कहना है कि अब अध्यात्म में भी भ्रष्टाचार घुस गया है। उन्होंने कह कि राजनीति, नौकरशाही, पत्रकारिता, मेडिकल, इंजीनियरिंग, विधि आदि क्षेत्रों में पहले से ही भ्रष्टाचार की घुसपैठ हो चुकी है।
सद्गुरु ने शनिवार को राजधानी में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कुछ लोग गलत काम कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग अच्छे काम भी कर रहे हैं। हालांकि मीडिया का कैमरा गलत चीजों पर ज्यादा घूमता है। अच्छी चीजें कम दिखाई जाती हैं। भ्रष्टाचार आज हमारी संस्कृति का हिस्सा बनता जा रहा है और यह देश के लिए चिंतन का विषय है।
जिंदगी में हर काम ऐसा करें कि मिट्टी-पानी का पोषण हो :
हम नदियों को बचाने की बात करते हैं, लेकिन इसका रास्ता क्या है? 300 गाडि़यों के साथ कन्याकुमारी से कश्मीर तक रैली निकालना इसका समाधान नहीं है।
हमने तमिलनाडु में अभियान के तहत साढ़े तीन करोड़ पेड़ लगा दिए, लेकिन मुझे लगता है यह भी पूरा समाधान नहीं है। समाधान है, हम अपने जीवन में जो भी कर रहे हैं, उसे इस तरह से करें कि उससे मिट्टी-पानी का पोषण हो। पेड़ बचाना भी समाधान है। इसी से नदियां भी बचेंगी। यह बात आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव ने शनिवार शाम मुख्यमंत्री निवास पर नदी अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में कही। नदियों को बचाने के अभियान के तहत चल रही रिवर रैली के 21वें दिन भोपाल पहुंचने पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
वासुदेव ने कहा, कुछ लोग यात्रा पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले 50 सालों में नर्मदा अपनी हरित पट्टी का 75 फीसदी, तो गंगा 95 फीसदी गवां चुकी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नर्मदा किनारे साढ़े छह करोड़ पौधे लगाने का संकल्प मैंने जग्गी वासुदेव से बातचीत में लिया था। वासुदेव के आह्वान पर ही चम्बल, काली सिंध, पार्वती का संरक्षण भी मप्र की जनता करेगी।
 

भावुक हुए जग्गी :
मुख्यमंत्री ने कहा कि जग्गी वासुदेव को 35 साल पहले 23 सितंबर को बुद्धत्व प्राप्त हुआ था। बड़ा संयोग है कि आज इस तारीख पर वे यहां हैं। अपने ज्ञान प्राप्ति की घटना का जिक्र करते हुए वासुदेव जग्गी भावनाओं में बह गए और आंसुओं के साथ घटना का जिक्र किया। कार्यक्रम के शुरू में पद्मश्री प्रहलाद टिपाणिया ने कबीर की प्रस्तुति दी। वासुदेव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका अभियान नदियों को जोडऩे के लिए नहीं, बल्कि उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए है।
वाहन रैली क्यों:
वासुदेव ने बताया कि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों को नदियां बचाने के लिए जागरूक करने कार रैली निकाल रहे हैं। पैदल चलने में सालों लग जाएंगे। नदियों को पुनर्जीवित करना भी श्रमसाध्य और समयसाध्य कार्य है। कुछ लोग प्रयास करें, तो एक नदी में 15—20 प्रतिशत पानी बढ़ाने में 20—25 साल लग जाएंगे।
हमारी बारहमासी नदियां मौसमी होती जा रही हैं। कई छोटी नदियां गायब हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि तथ्यों से पता चलता है कि भारत का 25 प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तान में बदल रहा है और 15 वर्षों में हो सकता है हमें हमारी जरूरत का केवल आधा पानी ही मिल पाए।
नदियों के संरक्षण में कसर नहीं छोड़ेंगे :
नदियों के संरक्षण को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इसके मद्देनजर ही नर्मदा स्वच्छता मिशन चलाया गया था। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहाने ने संतनगर में आयोजित कार्यक्रम में कही। चौहान ने सपत्नीय वासुदेव का स्वागत किया और मानव श्रृंख्ला बनाकर फूलों की वर्षा की गई।
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