विधानसभा परिसर में विधायकों के लिए सात मंजिला पांच टॉवर बनाए जाएंगे। इनमें 2200 वर्गफीट के 102 फ्लैट बनाए जाने हैं। वर्तमान में विधायकों के रहने के लिए विश्राम गृहों में पारिवारिक आवास हैं, जो जर्जर हो चुके हैं। इसके अलावा स्थानीय विधायकों समेत कई निर्वाचित सदस्य 74 बंगले, चार इमली, कोहेफिजा और 45 बंगले में रहते हैं।
61 साल पुराना है विश्राम गृह
पुराने विधायक विश्राम गृह के आवास 450 वर्गफीट के हैं, जो वर्तमान रहन-सहन के अनुसार छोटे पड़ते हैं। इसके अलावा ये 1957 में बने थे। इनके एक, दो और तीन नंबर के ब्लॉक जर्जर हो चुके हैं। नई विधानसभा के पास 104.99 एकड़ जमीन है। इसमें से 22 एकड़ बेशकीमती जमीन नए निवास के लिए आवंटित कर दी गई है।योजना आयोग ने वित्त विभाग को पे्रजेंटेशन में बताया था कि प्रोजेक्ट की लागत रॉ मटेरियल महंगा होने से बढ़ी है। वहीं जानकारों का ये भी कहना है पिछले बजट की तुलना में इस बार का बजट कम है इससे काम कर कंपनी को हल्का मटेरियल लगना पड़ रहा है।
पुराने विधायक विश्राम गृह के आवास 450 वर्गफीट के हैं, जो वर्तमान रहन-सहन के अनुसार छोटे पड़ते हैं। इसके अलावा ये 1957 में बने थे। इनके एक, दो और तीन नंबर के ब्लॉक जर्जर हो चुके हैं। नई विधानसभा के पास 104.99 एकड़ जमीन है। इसमें से 22 एकड़ बेशकीमती जमीन नए निवास के लिए आवंटित कर दी गई है।योजना आयोग ने वित्त विभाग को पे्रजेंटेशन में बताया था कि प्रोजेक्ट की लागत रॉ मटेरियल महंगा होने से बढ़ी है। वहीं जानकारों का ये भी कहना है पिछले बजट की तुलना में इस बार का बजट कम है इससे काम कर कंपनी को हल्का मटेरियल लगना पड़ रहा है।
127 करोड़ की मिली थी मंजूरी
कैबिनेट ने 30 अप्रैल 2015 को 127 करोड़ रुपए की लागत से नया विश्राम गृह स्वीकृत किया था। इसके बाद सीपीए ने पर्यावरण की अनुमति लिए बिना विधानसभा परिसर के पेड़ काटना शुरू कर दिए थे। इस पर आपत्ति आने पर आनन-फानन में काम रोकना पड़ा। पर्यावरण मंजूरी सहित अन्य अनुमतियां लेने में सीपीए को दो साल लग गए। काम शुरू करने से पहले सीपीए ने नगर निगम को पेड़ काटने और वैकल्पिक पौधरोपण के लिए राशि भी जमा कर दी गई है।
कैबिनेट ने 30 अप्रैल 2015 को 127 करोड़ रुपए की लागत से नया विश्राम गृह स्वीकृत किया था। इसके बाद सीपीए ने पर्यावरण की अनुमति लिए बिना विधानसभा परिसर के पेड़ काटना शुरू कर दिए थे। इस पर आपत्ति आने पर आनन-फानन में काम रोकना पड़ा। पर्यावरण मंजूरी सहित अन्य अनुमतियां लेने में सीपीए को दो साल लग गए। काम शुरू करने से पहले सीपीए ने नगर निगम को पेड़ काटने और वैकल्पिक पौधरोपण के लिए राशि भी जमा कर दी गई है।