इस पूरे मामले की शिकायत निगमायुक्त अविनाश लवानिया तक पहुंची। लवानिया ने फिलहाल इस पूरे मामले पर चुप्पी साध ली। उन्होंने संबंधित पक्षाों से चर्चा के बाद ही कार्रवाई करने की बात कही।
राजधानी के 85 वार्ड में से 50 फीसदी में महिला पार्षद है। राजनीति में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने के लिए निकाय स्तर पर आरक्षण देकर ये तय किया गया, लेकिन मौजूदा स्थिति में महज 10 फीसदी ही महिला पार्षद स्वतंत्र रूप से काम कर रही है।
हम तो ऐसे ही कार्यालय पहुंच गए थे। वहां जाकर देखा कि कोई अफसर नहीं है तो हम कुर्सी पर बैठ गए। जनसुनवाई तो रद्द थी। जो बैनर लगा हुआ है वह तो स्थायी है। हम कोई पार्षदी नहीं कर रहे हैं। – महेश खटवानी, पार्षद पति वार्ड 4
ऐसा नहीं होना चाहिए। सभी बैठकों में महिला पार्षदों को खुद ही अपने काम करने के लिए कहा जाता है। यदि जनसुनवाई में ऐसी स्थिति बनी है तो ये गंभीर है, इसे दिखवाया जाएगा। – आलोक शर्मा, महापौर