कमलनाथ मंत्रिमंडल ने 25 सितंबर को नगर निगमों में महापौर और नगर पालिकाओं में अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के अध्यादेश को पास करके राजभवन भेजा था। इसे राज्यपाल ने रोक लिया जबकि चुनाव में गलत शपथपत्र देने पर सजा के प्रावधानों वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इस पर नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात करके अध्यादेश को मंजूरी देने का आग्रह किया था। इस बीच भाजपा और ऑल इंडिया मेयर काउंसिल की ओर से दिए गए अध्यादेश के विरोध में दिए ज्ञापन को राजभवन ने सरकार के पास भेज दिया। समझा जा रहा था कि राज्यपाल इस अध्यादेश को रोक सकते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ से हुई चर्चा के बाद अब रास्ता साफ होता नजर आ रहा है।
तन्खा बोले- अध्यादेश न रोकें, गलत परंपरा होगी
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने राज्यपाल से अध्यादेश को मंजूरी देने का आग्रह किया है। रविवार को तन्खा ने राज्यपाल को संबोधित करते हुए ट्वीट में लिखा कि आप कुशल प्रशासक थे और हंै। संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा पर कार्य करते हैं। इसे राजधर्म कहते हैं। विपक्ष की बात सुनें, लेकिन महापौर चुनाव अध्यादेश को नहीं रोकें। जरा सोचिए, यह ग़लत परम्परा होगी।
सरकार कैबिनेट में लाई थी अध्यादेश
डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार ने 25 सितंबर को महापौर के सीधे चुनाव खत्म करने के संबंध में कैबिनेट बैठक में अध्यादेश पारित किया था। साथ ही यह भी प्रस्ताव लाया गया था कि अब चुनाव से दो महीने पहले तक परिसीमन सहित अन्य निर्वाचन प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। वर्तमान में छह माह का प्रावधान है। चुनाव में उम्मीदवार के गलत जानकारी देने पर 6 माह की जेल और 50 हजार का जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है।