scriptCountry's most advanced MORTUARY, facility of X-ray | देश की सबसे एडवांस मच्र्युरी, पीएम से पहले एक्सरे और सीटी स्कैन की सुविधा | Patrika News

देश की सबसे एडवांस मच्र्युरी, पीएम से पहले एक्सरे और सीटी स्कैन की सुविधा

locationभोपालPublished: Nov 04, 2023 01:21:09 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

भोपाल एम्स में पोस्टमार्टम के बाद देहदान की सुविधा है. पोस्टमार्टम से पहले डेड बॉडी के पोस्ट मार्टम,एक्सरे और सीटी स्कैन की भी सुविधा है।

mortuary.jpg
भोपाल. भोपाल एम्स में पोस्टमार्टम से जुड़ी विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां जहां मृतक के पोस्टमार्टम के बाद देहदान की सुविधा है वहीं पोस्टमार्टम से पहले डेड बॉडी के पोस्ट मार्टम,एक्सरे और सीटी स्कैन की भी सुविधा है। यहां बनी एडवांस वेटिलेटेड ऑटोप्सी टेबल और डिसेक्सिंग बेंच से डॉक्टर सड़े-गले शवों के पोस्टमार्टम के संक्रमण से बच जाते हैं। एम्स प्रबंधन के अनुसार इस तरह की सुविधा मुहैया करवाने वाली यह देश की पहली मच्र्युरी है।
एडवांस मच्र्युरी में यह सुविधाएं
एडवांस मच्र्युरी में मौत की वजह का सटीक पता चल जाता है। संक्रमित शव का पीएम करने पर संक्रमण का खतरा नहीं रहता। क्योंकि डसेक्सिंग बेंच शव से निकलने वाले संक्रमण को पूरी तरह से सोख लेती है। इस तरह की यहां ५ टेबल हैं। जबकि एक्सरे के जरिए हड्डियों में फंसे चाकू आदि का पता चल जाता है। हड्डी कैसे टूटी यह भी जान सकते हैं। सबसे बड़ी बात है यहां पीएम को लाइव देखा जा सकता है।
यह सुविधा भी होगी शुरू
डेड बॉडी को हाथ लगाए बिना पोस्टमार्टम,
पोस्टमार्टम के लिए अभी शरीर में एक बड़ा चीरा लगाकर डेड बॉडी की जांच की जाती है। इसमें कम से कम तीन घंटे लगते हैं। लेकिन जल्द ही एम्स में ऑटोप्सी की नयी तकनीक की सुविधा भी मिल सकेगी। जिसमें बिना चीरा लगाए या शरीर पर एक सुई तक लगाए बिना मृतक का पोस्टमार्टम हो जाएगा। और मौत के कारणों की भी पता चल जाएगा। फॉरेंसिक विभाग में जल्द ही वर्चुअल ऑटोप्सी की सुविधा मिलेगी। जिसमें स्कैन मशीन से शव की पूरी जांच हो जाएगी। हाई टेक एक्स-रे और एमआरआई मशीन से रेडियोयलॉजिक प्रोसेस के जरिए चोटों और ब्लड क्लॉट का भी पता चल जाएगा। इसमें आईसीएमआर मदद करेगा।
एम्स में पीएम के बाद भी देहदान की सुविधा
एम्स, भोपाल में पीएम के बाद भी देहदान की सुविधा है। इस तरह की सुविधा वाला यह प्रदेश का पहला संस्थान है। यहां बरी ***** तैयार किया है। इसमें मृतक का पीएम होने के बाद डेडबॉडी को विशेष प्रकार की मिट्टी में दबाकर रखा जाता है। इसके छह माह बाद जब मिट्टी हटाई जाती है तब स्केल्टन यानी हड्डियों का ढांचा ही बचता है। इसे केमिकल से साफ कर स्टूडेंट की पढ़ाई में काम लाया जाता है। इस तरह के देहदान के लिए भी लोग अब आगे आ रहे हैं। अभी तक मेडिकल स्टूडेंट आर्टिफिशियल स्केल्टन से पढ़ाई करते हैं।
कोरोना पॉजिटिव का देश में पहला पीएम भी एम्स में
देश में पहली बार कोरोना संक्रमित की मौत के बाद भोपाल एम्स में डेडबॉडी का पोस्टमार्टम हुआ था। इससे यह पता लगाने की कोशिश हुइ थी कि कोरोना वायरस शरीर के कौन-कौन से अंगों को कितना नुकसान पहुंचाता है। शरीर के अंदर वायरस कितनी देर तक जीवित रहता है।
Copyright © 2023 Patrika Group. All Rights Reserved.