किराएदारों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनेगा, जिस पर किराएनामे अपलोड किए जाएंगे। इससे किराएदार-भू स्वामी के बीच विवाद जल्द निपटेंगे। किराएदार जबरिया कब्जा नहीं कर पाएगा और भू स्वामी किराएदार से बेवजह लाभ नहीं कमा पाएगा।
कलेक्टर किराया प्राधिकारी तय करेंगे। किराया न्यायालय की स्थापना होगी। शासन जिला न्यायाधीश को किराया अधिकरण नियुक्त करेगा। किराएदार या भूमि स्वामी आवेदन देकर मामला दर्ज करा सकेंगे। दो माह में मामला निपटाना होगा।
– आर के कार्तिकेय , उपसचिव मप्र शासन
ये हैं अधिनियम में प्रावधान
– किराएदार से आवासीय में दो माह, जबकि व्यावसायिक में छह माह का अग्रिम लिया जा सकेगा।
– भू स्वामी के किराए की रसीद से इंकार करने पर डाक, मनीऑर्डर से भेजा किराया मान्य होगा।
– किराया परिसर की मरम्मत से मकान मालिक इनकार करता है तो किराएदार किराए की राशि से काम करवा सकेगा।
– किसी कारण परिसर में किराएदार नहीं रहता है तो उस अवधि का किराया वसूली नहीं होगी।
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