scriptबेसहारा गायों को सहारा देने के लिए बनाए गए गौ अभ्यारण्य को अब निजी हाथों का सहारा | Cow sanctuary: Kamal Nath Government is struggling with lack of fund | Patrika News

बेसहारा गायों को सहारा देने के लिए बनाए गए गौ अभ्यारण्य को अब निजी हाथों का सहारा

locationभोपालPublished: Jul 07, 2019 11:48:43 am

फंड की कमी ( lack of funds ) से जूझ रहा देश का पहला गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) …

cow sanctuary

देश के पहले गौ अभ्यारण्य को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी

भोपाल@अरुण तिवारी की रिपोर्ट…

मध्य प्रदेश में बने देश के पहले गौ अभ्यारण्य ( cow sanctuary ) को सरकार निजी हाथों में सौंपने जा रही है। फंड की कमी ( lack of funds ) के कारण सरकार ने ये फैसला किया है।

यह गौ अभ्यारण्य आगर मालवा जिले की सुसनेर तहसील के सालरिया गांव में बना है। बेसहारा गायों को हिंसा से बचाने और सहारा देने के लिए गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) बनाया गया था। गौ संरक्षण सरका के लिए बड़ा मुद्दा रहा है।

यहां तक कि मध्यप्रदेश में सरकार ( Kamal Nath in trouble ) बनाने के लिए कांग्रेस ने हर ग्राम पंचायत में गौशाला खोलने का वचन भी दे दिया। अब सरकार पहले चरण में एक हजार गौशालाएं खोलने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके लिए भी उसके पास पर्याप्त फंड नहीं है।

गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) की क्षमता छह हजार गायों की है, लिहाजा इसके संचालन के लिए सरकार को बड़ी राशि की आवश्यकता है जो उसके पास नहीं है।

kamal nath cabinet

ऐसे में सरकार को गौसेवा के लिए निजीकरण ही सबसे बेहतर रास्ता नजर आ रहा है। गौ अभ्यारण्य( Cow sanctuary ) को निजी हाथों में सौंपने के लिए सरकार में सहमति बन गई है। विधानसभा के पावस सत्र के बाद इसकी प्रक्रिया आगे बढ़ा दी जाएगी।

ये रहेगा निजीकरण का मॉडल :
सरकार गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) को ऐसी किसी कंपनी या एनजीओ को देगी जो नो प्रॉफिट-नो लॉस पर काम करेगी। इसका नियंत्रण और निगरानी सरकार खुद करेगी। सरकार की नजर अक्षय पात्र फाउंडेशन जैसी संस्था पर है जो नो प्रॉफिट के सिद्धांत पर काम करती है।

ये संस्था उत्तरप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत दस राज्यों में मिड डे मील बांटने समेत अन्य सामाजिक कार्य करती है। गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) को किसी बड़े धार्मिक ट्रस्ट को भी सौंपा जा सकता है।

सरकार चाहती है कि जिसकी कमाई से ज्यादा गौ सेवा में दिलचस्पी हो उस कंपनी,कार्पोरेट घराने,एनजीओ और ट्रस्ट के हाथों में गौ अभ्यारण्य का संचालन सौंपा जाए। लापरवाही या गड़बड़ी पाए जाने पर तत्काल अनुबंध निरस्त किया जा सकताा है।

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गौ संरक्षण का मॉडल बनाना था गौ अभ्यारण्य :
देश के सामने गौ संरक्षण का मॉडल रखने के लिए प्रदेश 2017 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) बनाया गया था। 472 हेक्टेयर में बने इस अभ्यारण्य में 24 शेड हैं।

इनमें 12 हजार गायें रखी जा सकती हैं। 32 करोड़ की लागत से बने अभ्यारण्य में कृषक प्रशिक्षण केंद्र,गौ अनुसंधान केंद्र, गोबर गैस प्लांट और सोलर प्लांट भी है। इसका मकसद गाय को हिंसा से बचाने के लिए उसके दूध के अलावा गोबर और गौमूत्र से पेस्टीसाइड,कीटनाशक और दवाएं तैयार करना था।

यहां न वैज्ञानिक हैं और न ही उसका प्रबंधन करने वाले लोग। पर्याप्त फंड उपलब्ध न कराने को लेकर गौसंवर्धन बोर्ड ने ही सरकार को निशाने पर लिया था। गौसंवर्धन बोर्ड के पदाधिकारियों ने कहा था कि सरकार पैसे देने में कई पेंच लगा देती है,गौ अभ्यारण्य सिर्फ गौशाला बनकर रह गया है।

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पूर्ववर्ती सरकार के समय भी गौ अभ्यारण्य को कार्पोरेट घराने को सौंपने की बात शुरु हुई थी जिसे कांग्रेस ने चुनाव में सियासी मुद्दा बनाया था और भाजपा सरकार को गाय विरोधी सरकार बताया था।
देशभर में मुद्दा बनी थी गायों की मौत :
दिसंबर 2017 में गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) में 28 दिन में 58 गायों की मौत ने कई सवाल खड़े किए थे। इसके अलावा इस साल जनवरी में भी 30 से 40 गायों की मौत का मामला सामने आया था।
जबकि एक नवजात बछड़ी की आंख कौए के नोचने की बात भी सामने आई थी। गौ अभ्यारण्य में की बदहाली आज भी वैसी ही है। यहां चारे-पानी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। यहां नई गायों के प्रवेश पर भी रोक लगी हुई है।

गौ अभ्यारण्य ( Cow sanctuary ) के बेहतर संचालन के लिए इसे निजी हाथों में सौंपने पर विचार किया जा रहा है। कई जगह बड़ी-बड़ी गौशालाओं का सफलतापूर्वक संचालन सामाजिक संगठन या धार्मिक ट्रस्ट कर रहे हैं। जो निजी संस्था गायों की सेवा की इच्छुक होगी, उसे इसके संचालन का जिम्मा सौंपा जाएगा।
– लाखन सिंह यादव,पशुपालन मंत्री,मप्र
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