कुटीर उद्योगों पर रहेगा जोर
आदर्श लिए गए गांवों में रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा। यहां गौपालन एवं वैज्ञानिक तरीके से गौमूत्र एवं गोबर के उत्पाद बनाना सिखाया जाएगा। इन उत्पादों को गायत्री शक्तिपीठ ही खरीदेगा। स्व सहायता समूह बनाकर महिलाओं एवं पुरुषों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। गांवों में स्वच्छता एवं व्यसन मुक्ति का वातावरण तैयार किया जाएगा। पंचगव्य औषधियां बनवाने के लिए ग्रामीणों को कच्चा माल दिया उपलब्ध कराया जाएगा एवं इमलिया रामपुर स्थित गौशाला में स्थापित मशीनों से औषधियां तैयार की जाएंगी। शिक्षा के लिए यहां देश का पहला अरणयक गुरुकुल खोला जाएगा, जहां आसपास के गरीब बच्चों को संस्कारवान एवं शिक्षित बनाया जाएगा।
इसलिए 24 गांव लिए गोद
गायत्री शक्तिपीठ द्वारा 24 गांवों को गोद लेने के पीछे दिलचस्प बात ये है कि गायत्री मंत्र में 24 अक्षर आते हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए गायत्री परिवार ने 24 गांवों को आदर्श बनाने का प्रकल्प लिया है। इन गांवों में युवा मंडल बनाए गए हैं, प्रत्येक मंडल में आठ से दस युवा सदस्यों को शामिल किया गया है।
नानाखेड़ी उन गांवों में अग्रणी है, जहां किसान कृषि कार्य के साथ ही गौपालन का कार्य कर रहे हैं। इससे न सिर्फ गौवंश को संरक्षण मिला है, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी हुई है। गौपाल से यहां प्रति परिवार अतिरिक्त आय 5 से 15 हजार रुपए है। इस गांव का पिछले दिनों राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दौरा किया था और किसानों के हित में किए गए कार्यों की सराहना की थी।
युवा पीढ़ी को भारतीय पुरातन संस्कृति, सभ्यता से जोडऩे और उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत करने के लिए सप्ताह में एक दिन मिल बांचे कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। यहां गांव के ही प्रशिक्षित आठ से दस युवाओं की टोलियों द्वारा दो घंटे की क्लास लगाई जाती है। यहां पांच से 12 साल तक बच्चों को खेल-खेल में कथा एवं कहानियों के माध्यम से संस्कारवान बनाया जा रहा है।