मूलत: अहमदाबाद निवासी योगेन्द्र छारा समाज से है। उसने पुलिस की पूछताछ में बताया कि उसके समाज के अधिकतर लोग शराब के अवैध व्यापार समेत अन्य अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं। वह अहमदाबाद से इंदौर आने के बाद जिस मकान को किराए में लिया उसके मकान मालिक को आधार कार्ड दिया था। मकान मालिक ने इंदौर पुलिस से उसका पुलिस वेरीफिकेशन कराया, लेकिन इंदौर पुलिस ने अहमदाबाद पुलिस से संपर्क ही नहीं किया। ऐसे में वह नहीं पकड़ा गया। लोगों को संदेह नहीं हो इसके लिए वह इंदौर में गुजराती प्रिंट की साडिय़ों का धंधा भी करता था। उसके दो बच्चे इंदौर के निजी स्कूल में पढ़ते हैं।
योगेन्द्र भोपाल रेलवे स्टेशन में खड़ी ट्रेन में ही चोरी करता था। वह रात करीब दो-ढाई बजे बस में बैठकर इंदौर से भोपाल आता था। इसके बाद रेलवे स्टेशन की प्लेटफॉर्म टिकट लेकर स्टेशन में दाखिल होता था। यहां, देर रात आकर रुकनी वाली ट्रेनों के वह एसी कोच में घुस जाता था। इस दौरान वह सिर के नीचे पर्स-बैग रखकर सोने वाले महिला-पुरुष यात्रियों के सामान पार कर देता था। देर रात भोपाल आने के पीछे की वजह उसने यह बताई कि इस दौरान अधिकतर यात्री नींद में होते हैं। जिससे वारदात करने में उसे आसानी रहती है। इंदौर में उसने एक भी वारदात नहीं की है।
आरोपी को इन वारदातों में ऐसे एटीएम कार्ड, मोबाइल भी हाथ लगे जिनमें पिन कोड लिखा मिला। उसने सेना के एक ब्रिगेडियर के कार्ड से रकम तक निकाल ली थी। जीआरपी को इसके फुटेज मिले। सितंबर 2017 में टीआई हेमंत श्रीवास्तव ने आरक्षक राजेश शर्मा, विक्रम सिंह, ज्योति वर्मा की एक टीम बनाई। इसी बीच 8 फरवरी 2019 को आरोपी रेलवे स्टेशन में घूमते मिला। सीसीटीवी के हुलिए के अनुसार जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो आरोपी ने गुनाह कबूल लिया।