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किसानों को मिलेगी मौसम और खराब फसलों की सटीक जानकारी

locationभोपालPublished: Sep 15, 2019 08:11:11 am

Submitted by:

Ashok gautam

– फल-सब्जी के बीमा के लिए हार्टीकल्चर इंश्योरेंस कंपनियों की व्यवस्था में बदलाव

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भोपाल। हार्टीकल्चर फसलों का बीमा करने वाली कंपनियों द्वारा मनमाने तरीके से स्वचलित मौसम केंद्र बनाने से पिछले दो वर्षों में किसानों को मिलने वाली बीमा राशि का करोड़ों रुपया अटक गया है। सरकार ने अब बीमा कंपनियों को कहा है कि वे राजस्व सर्किल पर स्वचलित मौसम केंद्र लगाए, ताकि सही तरीके से सर्वे करके बबार्द फसलों की सटीक जानकारी मिल सके।

मौसम केन्द्र लगाने तथा बीमा के लिए नामांकन के लिए कट ऑफ डेट की रबी के लिए 31 दिसम्बर और खरीफ के लिए 31 जुलाई प्रति वर्ष तय की गई है। पहले मौसम केन्द्र 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर लगाए जाते थे, जिससे ग्रामवार मैपिंग करने तथा फसल बीमा नुकसान का सही तरीके से आंकलन नहीं हो पाता था। इससे उद्यानकी विभाग के प्रति असंतोष और बीमा के प्रति किसानों को अविश्वास बढ़ता जा रहा था।

मोबाइल एप में मिलेगी रसीद-

बीमा कंपनियों को अब बीमित क्षेत्रफल और प्रीमियम राशि की रसीद किसानों को मोबाइल ऐप में देना होगा। जिससे वह इस बात को पहले से ही सुनिश्चित कर सकें कि उन्होंने कितनी राशि दी है उसके अनुसार उनके खेत और फल-सब्जी बीमा में कवर हो रहे हैं या नहीं। किसान अगर इससे सहमत नहीं होते है तो बीमा कंपनियों अथवा उद्यानकी विभाग के अधिकारियों से मिलकर नई बीमा पलिसी ले सकेंगे अथवा बीमा निरस्त करा सकेंगे। इसके अलावा किसानों को बीमा से जुड़ी जानकारी क्लेम बितरण और क्लेम राशि की जानकारी उनके मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराई जाएगी। फल, सब्जी बीमा के लिए प्रत्येक वर्ष खुली निविदा जारी कर कंपनी का चयन किया जाएगा।

किसानों का करोड़ों रुपए का क्लेम अंटका

राजस्व और बीमा कंपनियों के स्वचलित मौसम केन्द्रों की सीमा में विसंगति होने से करोड़ों फल, सब्जी तथा अन्य फालोद्यान खराब होने का क्लेम किसानों का अटक हुआ है। इसके लिए सरकार ने अधिकारियों और बीमा कंपनियों को पुन: परीक्षण करने के लिए निर्देश दिए हैं, जिससे किसानों को सही राशि मिल सके। बताया जाता है कि वर्ष 2016 से 2018 तक किसानों ने 36.09 करोड़ रुपए प्रीमियम के लिया गया गया था, लेकिन किसानों को मात्र 10.730 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।
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