मौसम केन्द्र लगाने तथा बीमा के लिए नामांकन के लिए कट ऑफ डेट की रबी के लिए 31 दिसम्बर और खरीफ के लिए 31 जुलाई प्रति वर्ष तय की गई है। पहले मौसम केन्द्र 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर लगाए जाते थे, जिससे ग्रामवार मैपिंग करने तथा फसल बीमा नुकसान का सही तरीके से आंकलन नहीं हो पाता था। इससे उद्यानकी विभाग के प्रति असंतोष और बीमा के प्रति किसानों को अविश्वास बढ़ता जा रहा था।
मोबाइल एप में मिलेगी रसीद-
बीमा कंपनियों को अब बीमित क्षेत्रफल और प्रीमियम राशि की रसीद किसानों को मोबाइल ऐप में देना होगा। जिससे वह इस बात को पहले से ही सुनिश्चित कर सकें कि उन्होंने कितनी राशि दी है उसके अनुसार उनके खेत और फल-सब्जी बीमा में कवर हो रहे हैं या नहीं। किसान अगर इससे सहमत नहीं होते है तो बीमा कंपनियों अथवा उद्यानकी विभाग के अधिकारियों से मिलकर नई बीमा पलिसी ले सकेंगे अथवा बीमा निरस्त करा सकेंगे। इसके अलावा किसानों को बीमा से जुड़ी जानकारी क्लेम बितरण और क्लेम राशि की जानकारी उनके मोबाइल ऐप पर उपलब्ध कराई जाएगी। फल, सब्जी बीमा के लिए प्रत्येक वर्ष खुली निविदा जारी कर कंपनी का चयन किया जाएगा।