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सीएसपी पत्नी ने किया मोटिवेट, आज दिव्यांग खिलाड़ियों की नई पौध तैयार कर रहे प्रवीण

locationभोपालPublished: Oct 31, 2021 09:05:00 pm

Submitted by:

hitesh sharma

अब तक अकादमी से 7 खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीत चुके हैं

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भोपाल। मैं स्कूल में बच्चों को जूडो की कोचिंग देता था, मेरी पत्नी सीएसपी बिट्टू शर्मा ने मुझे मोटिवेट किया कि सामान्य खिलाड़ियों को तो हर कोई ट्रेनिंग देकर आगे बढ़ाता है लेकिन दिव्यांग बच्चों को ट्रेंड करने के लिए कोई आगे नहीं आता जबकि इनमें भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। मैंने अपना जॉब छोड़कर 2017 में श्री ब्लिस मिशन फॉर पैरा एण्ड ब्राइट अकादमी शुरू की। यह कहना है जूडो कोच प्रवीण भटेले का।
प्रवीण बताते हैं कि अब तक अकादमी से 7 खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर मेडल जीत चुके हैं। वहीं, सीएसपी बिट्टू शर्मा का कहना है कि पुलिस मुख्यालय में तैनाती के दौरान मेरी मुलाकात दो दिव्यांगों से हुई। उन्हें मैंने जूडो खेलने के लिए मोटिवेट किया। वे तैयार हुए तो अंकुर खेल मैदान में उन्हें ट्रेनिंग देने लगी। इसके बाद मुझे लगा कि हमें अन्य खिलाडिय़ों के लिए भी कुछ करना चाहिए क्योंकि समाज के प्रति हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है। हमने अपने घर में ही अकादमी शुरू की। इसके लिए अवार्ड से जीती हुई राशि की एफडी तोड़ दी और अकादमी के लिए इक्यूपमेंट्स खरीदे। अभी अकादमी में 16 खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं।

अकादमी जाकर तलाशी प्रतिभाएं
बिट्टू बताती हैं कि मेरे पिता प्रेमचंद शर्मा पहलवान थे। उन्होंने ही मुझे जूडो खेल में आगे बढऩे के लिए मोटिवेट किया। 1998 में सब इंस्पेक्टर बन गई। 2004 में न्यूजीलैंड में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में मैंने मप्र के लिए पहला सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद मॉरिशर कॉमनवेल्थ में भी पार्टिसिपेट किया। मेरा मानना था कि खिलाड़ियों के लिए अकादमी होगी तो उन्हें बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा। जब टीटी नगर स्टेडियम में जूडो अकादमी शुरू की गई तो मैं पुलिस फील्ड की नौकरी करने की बजाए प्रतिनियुक्ति पर आकर पहली कोच बन गई। 2013 तक 350 से ज्यादा खिलाडिय़ों ने नेशनल-इंटरनेशनल में मेडल जीते।

20-20 घंटे नौकरी के बीच भी जोश नहीं होता कम
बिट्टू शर्मा वर्तमान में सीएसपी कोतवाली का दायित्व संभाल रही हैं। लॉ एण्ड ऑर्डर से लेकर कोरोना लॉकडाउन के दौरान उन्हें 18 से 20 घंटे फील्ड में तैनात रहना होता है। इस दौरान यदि कोई खिलाड़ी उनसे खेल की टिप्स मांगता है तो वे पीछे नहीं हटती। प्रवीण कहते हैं दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए सरकार से भी अलग से फंड नहीं मिलता, लेकिन अब मैं इसकी परवाह भी नहीं करता। यहां भी कॉम्पीटिशन होता है मैं अपने खर्च पर बच्चों के साथ जाता हूं। सीएसपी शर्मा को सीएसपी अयोध्या नगर रहते हुए 34 ब्लाइंड मर्डर का खुलासा करने के लिए मप्र सरकार से रुस्तम अवार्ड भी मिल चुका है।

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