कंपनियों से इस राशि को लेने के लिए कालेजों के प्राचार्य से लेकर विभाग के मंत्री तक एंड़ी-चोटी का जोर लगाने का प्रयास करेंगे। मध्य प्रदेश में प्रत्येक वर्ष सीएसआर की राशि तीन सौ करोड़ रुपए से अधिक होता है।
उच्च शिक्षा विभाग ने प्राचार्यों को कहा है कि वे कंपनियों से सीएसआर की राशि लेने के लिए उनसे लगातार संपर्क करें। उन्हें कालेजों के विकास और बच्चों बेहतर शिक्षा गुणवत्ता में सहयोग करने के लिए प्रेरित करें। सौ करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों के पास अतिरिक्त संचालक और प्राचार्य खुद जाएंगे।
इसी तरह से 100 से 5 सौ करोड़ रुपए की टर्नओवर वाली कंपनी और सार्वजनिक उपक्रम के पास आयुक्त और प्रमुख सचिव संपर्क करेंगे और उनके के पत्र लेकर विभाग के अधिकारी कंपनियों के पास जाएंगे। इसके साथ ही 500 करोड़ से अधिक के टर्नओवर वाली निजी कंपनी और सार्वजनिक उपक्रम से सीएसआर का पैसा लेने के लिए मंत्री बातचीत और पत्राचार करेंगे। मंत्री बड़ी-बड़ी कंपनियों से उच्च शिक्षा को आर्थिक सहायोग देने के लिए अपने स्तर पर प्रयास भी करेंगे।
सम्मानित होंगे प्राचार्य
जिन कालेजों के प्राचार्य निजी कंपनियों से सीएसआर का 50 लाख रुपए से राशि लेने में सफल होंगे, उन्हें सरकार पुरस्कार देगी। प्रत्येक कालेजों में सीएसआर के पैसे के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाएगा। इसमें एक प्राध्यापक को कंपनियों के सीएसआर का पैसे लेने के लिए प्रभारी नियुक्त किया जाएगा। ये प्राध्यापक कंपनियों और कालेज के बीच में सेतु का काम करेंगे। इसके साथ ही कंपनियों से इस राशि को लेने विभिन्न कार्यों का प्रस्ताव भी प्रकोष्ठ तैयार करेगा। अगर पैसे के लिए उच्च अधिकारियों के सिफारिश की जरूरत पड़ेगी तो ये अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी देंगे।
सीएसआर पैसे से तीन कार्यों को मिलेगी प्राथमिकता
उच्च शिक्षा विभाग ने प्राचार्यों से कहा है कि वे सीएसआर के पैसे से अतिरिक्त क्लास रूम, रेन वॉटर हार्वेटिंग और कम्प्यूटर लाइब्रेरी बनाने पर विशेष प्राथमिकता दें। जिन कालेजों में यह सभी सुविधाएं पहले से उपलब्ध है तो वे अधोसंरचना विकास, उपकरण, शिक्षा, कौशल विकास, फर्नीचर, पुस्तकालय उन्नयन, पेयजल व्यवस्था और क्षमता संवर्धन का काम कर सकेंगे। अगर सीएसआर की राशि बड़ी है तो प्राचार्य अपने स्तर पर प्रथमिकताएं तय करेंगे और इसके जानकारी विभाग को भी भेजेंगे।