मंत्री ने यह भी कहा है कि अब निर्माण कार्य की शिकायत की जांच पूरी होने के बाद ही ठेकेदारों का भुगतान किया जाएगा, इससे ठेकेदारों की जवाबदेही तय होगी कि वे गुणवत्तापूर्ण निर्माण कार्य करें।
सरकार ने प्रदेश के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता जांचने के लिए सीटीई का गठन किया था। यही वजह है कि सीटीई के पद पर निर्माण एजेंसी के प्रमुख अभियंता स्तर के अधिकारी को पदस्थ किया जाता है, लेकिन उसके पास अधिकार न होने के कारण सीटीई की जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी।
सामान्य प्रशासन विभाग को अब तक सीटीई बुंदेलखंड पैकेज घोटाले से लेकर कई बांध और बड़े निर्माण कार्य की अनियमितता की रिपोर्ट सौंप चुका है, लेकिन इन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार सीटीई को अधिकार देकर निर्माण कार्य की गुणवत्ता में सुधार लाना चाहती है। एफआईआर के अधिकार मिलने से सीटीई की जांच को विभागीय अफसर और संबंधित ठेकेदार गंभीरता से लेंगे। इससे जांच के दौरान पाई जाने वाली खामियों में तत्काल सुधार हो सकेगा।
सीटीई में मिलेगा विशेष वेतन
सीटीई को वर्तमान में कोईअधिकार न होने के कारण यहां कोई भी निर्माण एजेंसी का अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर नहीं आना चाहता है। यही वजह है कि वर्तमान सीटीई के कई पद खाली है। सरकार सीटीई को अधिकार देने के साथ यहां के तकनीकी पदों पर विशेष वेतन का प्रावधान भी करने जा रही है। वहीं सीटीई की प्रतिनियुक्ति अवधि २ से बढ़ाकर ४ वर्ष करने पर भी विचार किया जा रहा है।
शिकायत मिलने पर सीधी कर सकेंगे कार्रवाई
निर्माण कार्य में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर सीटीई सीधी कार्रवाई कर सकेगा। इसके लिए उसे सामान्य प्रशासन से किसी तरह की कोई अनुमति नहीं लेना होगी। सीटीई को सिर्फ जांच की सूचना देना होगी।
दरअसल वर्तमान नियमों में जीएडी से अनुमति मिलने पर ही सीटीई किसी निर्माण कार्य की जांच कर सकता है। जांच की मंजूरी मिलने पर देरी होने से कई बार ठेकेदार का भुगतान तक हो जाता है। एेसे में निर्माण कार्य की गुणवत्ता में सुधार करवाना मुश्किल हो रहा है।
निर्माण कार्यों में गंभीर तरह की गड़बड़ी करने पर एफआईआर करने का सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने निर्देश दिए हैं। प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं, जल्द ही इस सिस्टम को लागू कर दिया जाएगा।
चंद्रप्रकाश अग्रवाल, प्रमुख अभियंता सीटीई