उन्होंने भारतीय संस्कृति की महानता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे यहां बुद्धि के साथ भावना को भी उतना ही महत्व दिया जाता है जबकि दूसरे देशों में भावना की महत्ता कम होती है। भावना और बुद्धि के मिश्रण से आचरण का निर्माण होता है जो हमें उचित और अनुचित का फर्क समझाता है। रामचरितमानस का साहित्य इतना गहरा होने की वजह से ही भगवान राम का चरित्र क्षेत्रीय ना होकर देश और काल की सीमाओं से परे हो गया और श्री राम के संस्कार पूरे देश के लिए आदर्श बन गए। जितनी गहनता से साहित्य संस्कृति का प्रचार करता है उतना दूसरी कलाएं नहीं कर सकती।
साहित्य मतलब सब का हित
उन्होंने कहा कि अच्छे साहित्य को परिभाषित करते हुए कहा कि साहित्य मतलब सब का हित है। साहित्य का मूल रस है लोक जन का कल्याण। जो समाज की बुराइयों को दूर हटाए और पूरे समाज को सही रास्ता दिखाए वह ही असली साहित्य है। जो साहित्य केवल मनोरंजन के लिए है उसका कोई औचित्य नहीं है। आज की आवश्यकता को बताते हुए कहा कि हमें समझना चाहिए कि जो सब अंग्रेज है वह अच्छा नहीं और जो हिंदी है वह निंदनीय नहीं। जो हमारे समाज की कमियां है उन्हें निश्चित ही हमें दूर करना है लेकिन साथ ही हमारी संस्कृति की अच्छी बातों को सहेजना भी हमारा कर्तव्य है।
डोमेन नामों का देवनागरी में उपयोग सीखा
डोमेन नाम और ईमेल पते की सार्वभौमिक स्वीकृति विषय पर तकनीकी कार्यशाला व कोडिंग प्रतियोगिता हुई। कार्यशाला में इंटरनेट पर उपलब्ध डोमेन नामों को देवनागरी लिपि में आसानी से उपयोग करना सिखाया गया। कोडिंग प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को समय सीमा में ऐसी वेबसाइट या एप्लिकेशन बनानी थी जो हिंदी में डोमेन नाम और ईमेल आईडी को स्वीकार, मान्य, स्टोर, प्रोसेस और प्रदर्शित करने में समर्थ हो।