इस ऐप को तैयार करने वाले मृदुल रंजन साहू बताते हैं कि उनके साथी अमित शेखर और जानिशर अली ने मिलकर इसे तैयार किया। इस ऐप के जरिए 1 लाख 80 हजार छात्र हर महीने अपने मोबाइल पर कोडिंग सीखते हैं। इन्होंने बताया कि आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि क्यूरियस जूनियर के स्टूडेंट्स ने अपने ऐप पर 15 मिलियन से ज्यादा बार कोडिंग की है।
फ्री मॉडल के रूप में
हर महीने 5 लाख बच्चों को कोडिंग सीखने के लिए प्लेटफॉर्म पर लाना है। कोडिंग सीखने वाले 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों के कोडिंग की शिक्षा लेने के सफर में क्यूरियस जूनियर को उनकी पढ़ाई का हिस्सा बनाना है। इसमें से करीब 60 फीसदी यूजर्स छोटे शहरों के हैं, जबकि 40 फीसदी यूजर्स मेट्रो सिटीज और बड़े शहरों में रहते हैं। कंपनी का संचालन फ्री मॉडल के तौर पर किया जा रहा है।
कोरोनाकाल में हुई शुरुआत
मृदुल ने बताया पढ़ाई पूरी होने के बाद जॉब शुरू की। दो अन्य साथी अमित और जानिशर अली बी. टेक के बाद प्रोफेशनल्स को कोडिंग सिखा रहे थे। कोरोनाकाल के दौरान तीनों दोस्तों की बात हुई और मोबाइल बेस कोडिंग शुरू किया। गुरुग्राम स्थित एडटेक और ऑनलाइन कोडिंग प्लेटफॉर्म क्यूरियस जूनियर को 2020 में शुरू किया।
1 मिलियन डॉलर फंड निवेश
अभी यह हिंदी और इंग्लिश में है। जल्द इसे मराठी, तेलुगू, बंगाली और गुजराती में लाने की तैयारी है। पिछले साल इस स्टार्टअप ने अपनी पहली आधिकारिक फंडिंग हासिल करने के प्रयास में निवेशकों से 1 मिलियन डॉलर का फंड एकत्र किया।